जयपुर , अक्टूबर 26 -- चुनाव आयोग (ईसी) ने चुनावों के दौरान कृत्रिम रूप से निर्मित जानकारी और कृत्रिम बुद्धमत्ता (एआई) जनित सामग्री के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों एवं प्रचार प्रतिनिधियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि आयोग ने स्पष्ट किया है कि ऐसी सामग्री चुनावी अखंडता, मतदाता विश्वास और समान अवसर के सिद्धांतों के लिए गंभीर खतरा बन रही है।
आयोग के ताज़ा परामर्श में कहा गया है कि तकनीकी साधनों से तैयार या संशोधित की गई कृत्रिम सामग्री वास्तविकता का भ्रम पैदा करती है, जिससे मतदाता गुमराह हो सकते हैं और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
सूत्रों ने बताया कि इसी को ध्यान में रखते हुए आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए परामर्श जारी किये हैं, ताकि चुनावी प्रचार में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। निर्वाचन आयोग ने यह भी स्मरण कराया है कि सभी राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों को सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 और आयोग द्वारा पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य है।
सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग के प्रमुख निर्देशों के मुतबिक किसी भी कृत्रिम रूप से निर्मित या एआई-संशोधित छवि, ऑडियो या वीडियो पर स्पष्ट लेबल का प्रदर्शन अनिवार्य होगा। हर एआई-जनित सामग्री में उसके निर्माण के लिए उत्तरदायी इकाई का नाम या तो मेटाडाटा में या कैप्शन में दर्शाया जाए।
ऐसी कोई भी सामग्री प्रकाशित या साझा नहीं की जा सकती जो किसी व्यक्ति की पहचान, रूप या आवाज़ को उसकी सहमति के बिना गलत रूप में प्रस्तुत करे या मतदाताओं को भ्रमित करने की संभावना रखती हो।
किसी राजनीतिक दल के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर भ्रामक, एआई-जनित या कृत्रिम रूप से संशोधित सामग्री पाई जाती है, तो उसे रिपोर्ट या संज्ञान में आने के तीन घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होगा। सभी राजनीतिक दलों को अपनी एआई-जनित प्रचार सामग्री का आंतरिक अभिलेख रखना होगा, जिसमें निर्माता का विवरण और समय-चिह्न शामिल हों। आयोग द्वारा मांग किए जाने पर यह अभिलेख प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि ये सभी निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और सभी सामान्य एवं उपचुनावों में प्रभावी रहेंगे। निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि इन निर्देशों का उल्लंघन गंभीर चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।
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