लखनऊ , नवंबर 05 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से अस्थायी से सेवा में नियमित सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मामले में बड़ी राहत मिली है।
कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि ऐसे कर्मचारियों के नियमित होने से पहले उनके द्वारा की गई अस्थाई या वर्कचार्ज सेवा, पेंशन के लिए 'अर्हता सेवा' मानी जाएगी। यानि कि अस्थाई या वर्कचार्ज सेवा की गणना भी पेंशन के लिए की जाएगी। यह फैसला इन कर्मचारियों के पेंशन निर्धारण में निर्णायक होगा।
न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने यह फैसला जय राम शर्मा समेत अन्य कर्मचारियों द्वारा दाखिल 78 याचिकाओं के समूह पर दिया। इनमें 77 याचिकाओं में, अस्थाई या वर्कचार्ज सेवा से नियमित हुए कर्मचारियों को नियमित होने से पहले की सेवा की पेंशन के लिए गणना न किए जाने के सरकारी आदेशों को चुनौती दी गई थी। याचियों के अधिवक्ता ने सुप्रीमकोर्ट की नजीरों का हवाला देकर कहा कि ऐसे कर्मचारियों के नियमित होने से पहले की सेवा को पेंशन के लिए 'अर्हता सेवा' माना जाना चाहिए।
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