नैनीताल , अक्टूबर 27 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों द्वारा पाठ्य पुस्तकों और वर्दी के नाम पर अभिभावकों के साथ की जा रही कथित मनमानी के मामले में याचिकाकर्ता को बड़ी राहत नहीं देते हुए अपनी शिकायत पहले सरकार की ओर से गठित एडवाइजरी कमेटी के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया।
हल्द्वानी निवासी दीप चंद्र पांडे की ओर से दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस मामले में नैनीताल के मुख्य शिक्षा अधिकारी अदालत में पेश हुए।
सरकार की ओर अदालत को बताया गया क ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए एक एडवाइजरी कमेटी का गठन किया गया है। इसमें कोई भी अभिभावक अपनी शिकायत कर सकता है।
वहीं केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से भी कहा गया गया कि याचिकाकर्ता की ओर से कोई शिकायत नहीं की गयी है जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि यह आम लोगों की समस्या है और ऐसे पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध हैं।
दोपहर बाद इस मामले में पुनः सुनवाई हुई और खंडपीठ ने इस मामले को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता को निर्देश दिये कि वह सर्वप्रथम अपनी शिकायत एडवाइजरी कमेटी के सम्मुख पेश करे।
याचिकाकर्ता की ओर दायर जनहित याचिका में निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों के साथ की जा रही कथित मनमानी पर रोक लगाने की मांग की गयी थी।
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