जयपुर , नवम्बर 06 -- राजस्थान में जयपुर जिले में आयोजित किये जा रहे नारी चौपाल कार्यक्रम अब नारी उत्सव एवं महिला सशक्तीकरण की मिसाल के रूप में उभर रहे हैं।
जयपुर जिला प्रशासन द्वारा सक्षम जयपुर अभियान एवं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत उपखंडस्तर नारी चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के निर्देशानुसार गुरुवार को चौमूं के हाड़ौता स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में नारी चौपाल कार्यक्रम उत्साह, उमंग और उल्लास के साथ संपन्न हुआ।
महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक डॉ. राजेश डोगीवाल ने बताया कि भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी ऊषा यादव एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मृणाल कुमार की मौजूदगी में आयोजित नारी चौपाल में हजारों महिलाओं एवं बालिकाओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और अपने हुनर का प्रदर्शन किया। मारवाड़ी गीत, लोक नृत्य, नुक्कड़ नाटक, आत्मरक्षा प्रशिक्षण जैसी विविध गतिविधियों ने चौपाल को सजीव बना दिया। महिलाओं ने 'हम होंगे कामयाब' और 'मेरा काम-मेरा सम्मान' प्रस्तुतियों के माध्यम से आत्मविश्वास और स्वावलंबन का संदेश दिया। सफलता की कहानियों के जरिए अनुभव साझा किये गये और महिला सशक्तीकरण की प्रेरणा दी गयी।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास, चिकित्सा, शिक्षा, पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने महिलाओं से संवाद करके स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, पोषण, स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता जैसे विषयों पर जानकारी दी और उन्हें प्रेरित करने के लिए सफलता की कहानियाँ साझा कीं। चौपाल स्थल पर योजनाओं से जुड़ी सहायता काउंटर भी लगाए गए, ताकि महिलाओं को मौके पर ही आवश्यक जानकारी और सहयोग मिल सके।
डॉ डोगीवाल ने बताया कि नारी चौपाल का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त, आत्मनिर्भर और जागरूक बनाना है। चौपाल के माध्यम से महिलाओं को सरकार की योजनाओं, अधिकारों एवं कल्याणकारी कार्यक्रमों की जानकारी दी जा रही है, साथ ही उनकी समस्याओं और सुझावों को भी सुना जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन चौपालों के जरिये समाज में लिंगानुपात सुधार, महिला गरिमा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने और समान अवसरों की दिशा में संवाद स्थापित किया जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से संचालित योजनाओं, नियमों और अधिनियमों का व्यापक प्रचार-प्रसार भी इस पहल का हिस्सा है, जिससे समतामूलक समाज का निर्माण संभव हो सके।
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