कोहिमा , नवंबर 11 -- नागालैंड सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर सैनिकों के सम्मान में मंगलवार को कोहिमा युद्ध कब्रिस्तान में स्मृति दिवस मनाया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कब्रिस्तान में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा इस अवसर को सभी के लिए स्मरण एवं प्रेरणा का दिन बताया। उन्होंने कहा कि कोहिमा की लड़ाई में शामिल सैनिकों का साहस एवं बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। द्वितीय विश्व युद्ध न केवल एक ऐतिहासिक संघर्ष था बल्कि अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए लड़ने वालों की बहादुरी और दृढ़ संकल्प का भी प्रमाण था।

श्री बिरला ने नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की सराहना की जिनके दिवंगत पिता ने इस युद्ध में हिस्सा लिया था। उन्होंने युद्ध में नागा लोगों के ऐतिहासिक योगदान को याद किया।

श्री बिरला ने क्षेत्र में मनोबल एवं समर्पण बनाए रखने के लिए नागालैंड के नेतृत्व और सुरक्षा कर्मियों की प्रतिबद्धता की सराहना की।

मुख्यमंत्री रियो ने कहा कि 2025 का समारोह राष्ट्रमंडल युद्ध समाधि आयोग की साझेदारी में राज्य सरकार द्वारा आयोजित स्मरण दिवस का पहला आधिकारिक स्मरणोत्सव है। उन्होंने कहा कि साहस एवं बलिदान की साझा विरासत का सम्मान करने के लिए अब इस समारोह का आयोजन एक वार्षिक राज्य कार्यक्रम के रूप में किया जाएगा।

श्री रियो ने कोहिमा युद्ध कब्रिस्तान को असाधारण साहस का जीवंत प्रमाण बताया और कहा कि 1,420 मित्र सैनिकों को कब्रिस्तान में दफनाया गया था और 917 का इसके निकट में ही अंतिम संस्कार किया गया था। कोहिमा के युद्ध में कुल 2,331 सैनिक शहीद हुए थे जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सबसे भीषण युद्धों में से एक था।

कोलकाता स्थित ब्रिटिश उप-उच्चायोग के मिशन उप-प्रमुख, भारत दवे ने युद्ध के दौरान शहीद हुए ब्रिटिश, भारतीय और मित्र देशों के सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री दवे ने इस वार्षिक कार्यक्रम की शुरुआत के लिए नागालैंड सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया और इसे शहीदों की बहादुरी एवं बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि कहा।

कोहिमा की लड़ाई को युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताते हुए उन्होंने कहा कि सैनिकों द्वारा दिखाए गए साहस एवं धैर्य ने उन स्वतंत्रताओं की रक्षा की, जिन्हें हम आज संरक्षित करते हैं। उन्होंने शांति, मैत्री तथा यूनाइटेड किंगडम तथा भारत के बीच स्थायी साझेदारी के प्रति ब्रिटेन की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।

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