दीमापुर , नवंबर 03 -- नागालैंड के वोखा जिला प्रशासन ने सोमवार को अमूर फाल्कन (बाज) के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए जिले को अस्थायी 'साइलेंट जोन' घोषित कर दिया।

अतिरिक्त उपायुक्त रेनबोमो एज़ुंग की ओर से जारी एक आदेश में इन प्रवासी पक्षियों के प्रवास के लिए इस क्षेत्र को 'सुरक्षित मार्ग' बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर दिया गया है। ये पक्षी वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (सीएमएस) के तहत संरक्षित हैं। उल्लेखनीय है कि भारत भी सीएमएस का एक हस्ताक्षरकर्ता है।

आदेश में नागालैंड को 'विश्व की बाज़ राजधानी' के रूप में रेखांकित करते हुए कहा गया है कि यह मान्यता हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीनों के दौरान वोखा जिले के पंगती गाँव में आने वाले अमूर बाज़ों के सबसे बड़े समूह के कारण प्राप्त है। आदेश में कहा गया है, "किसी भी प्रकार के व्यवधान को कम करने के लिए प्रवास के इस मौसम में पंगती में तीन किलोमीटर के दायरे में आधिकारिक तौर पर एक अस्थायी 'साइलेंट जोन' घोषित किया गया है।"इसमे कहा गया है कि वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि अधिक तीव्रता वाली ध्वनियाँ जंगली पक्षियों में भय पैदा कर सकती है, जिससे वे अपने आवास को छोड़ सकते हैं एवं अन्य क्रियाकलापों में बाधा उत्पन्न हो सकती है। यह इनके अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है।

आदेश में मुख्य सचिव के कार्यालय की ओर से 2013 में जारी एक निर्देश का भी उल्लेख किया गया है। इस निर्देश में चेतावनी दी गई है कि अमूर फाल्कन को मारने या नुकसान पहुँचाने में शामिल गाँवों को दिए जाने वाले सरकारी अनुदान और सहायता की समीक्षा की जाएगी और संभवतः उसमें कटौती कर दी जाएगी।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित