नयी दिल्ली , दिसंबर 19 -- सरकार ने सामान्य नागरिकों और कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए पेंशन योजनाओं में अंशधारक का अंशदान बनाये रखने की न्यूनतम अवधि संबंधी शर्त समाप्त कर दी है।
पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडी) ने इसके लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत योजना से निकलने और धन वापस लेने के अपने 2015 के नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है।
वित्त मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार पीएफआरडीए के नियमों में नये संशोधन वृद्धावस्था में पेंशन योजनाओं के प्रोत्साहन और पेंशनधारकों के हितों के संरक्षण के लिए हैं। इन संशोधनों के बाद सभी नागरिकों ओर कंपनियों -दोनों मामले में पेंशन योजना में पांच वर्ष की लॉक-इन अवधि ( निवेश को निकाने पर पाबंदी की अवधि) को खत्म कर दिया गया।
इसी के साथ पेंशन योजना से बिना नुकसान के सामान्य रूप से पूरे अधिकार के साथ निकलने के लिए निर्धारित वेस्टिंग पीरियड ( निवेशित बने रहने की अवधि) को 60 वर्ष की आयु की शर्त को संशोधित कर कम से कम 15 वर्ष तक योजना में पैसा निवेशित रखने या 60 वर्ष की आयु प्राप्त होने की अवधि कर दिया गया है।
कंपनी क्षेत्र की पेंशन योजना में के लिए योजना में निवेशित बने रहने के नियम को यथावत रखा गया है।
संशोधित नियमों के तहत सभी नागरिकों और कंपनी में काम करने वालों के लिए सामान्य रूप से योजना से निकलने पर अब 80 प्रतिशत तक धन एक साथ और कम से 20 प्रतिशत धन एन्यूइटी ( नियमित) भुगतान के रूप में लिया जा सकता है। अभी एक मुश्त भुगतान का अनुपात 60 प्रतिशत था।
नये नियमों के तहत अब 12 लाख रुपये तक के कोष पर 100 प्रतिशत तक एक मुश्त भुगतान लिया जा सकता है। इससे अधिक के कोष पर 12 प्रतिशत भुगतान एक मुश्त और 20 प्रतिशत एन्यूइटी के रूप में मिलेगा.।
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