नयी दिल्ली , दिसंबर 12 -- वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने तेल एवं गैस क्षेत्र के लिए सरकार की ओर से किये गये बड़े सुधारों को ऐतिहासिक कदम बताया है और कहा है कि यह बदलाव भारत की वर्षों से पहचानी गयी लेकिन कम विकसित हाइड्रोकार्बन क्षमता को तेजी से उजागर करने का मार्ग खोलेगा।
यहां जारी एक विज्ञप्ति में श्री अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी को बधाई देते हुए कहा कि नये नियम देश में अन्वेषण और उत्पादन को गति देने के लिए एक निर्णायक नीतिगत बदलाव का संकेत हैं। तेल क्षेत्र (विनिमय एवं विकास ) संशोधन अधिनिमय, 2025 की ओर संकेत करते हुए श्री अग्रवाल ने कहा, " भारत के पास ऊर्जा संसाधनों का अपार भंडार है, और ये सुधार अंततः उन्हें उपयोग में लाने के लिए सही माहौल तैयार करते हैं।"उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे किफायती तेल और गैस उत्पादक देशों में से एक बन सकता है, और इन सुधारों का सबसे अधिक लाभ उपभोक्ताओं, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलेगा। आयात पर निर्भरता कम होने से ऊर्जा उपलब्धता और सुरक्षा मजबूत होगी।
श्री अग्रवाल की राय में नये नियम ऊर्जा क्षेत्र को अधिक समावेशी बनाने वाले हैं। अब स्टार्ट-अप, युवा उद्यमी, इनोवेटर और यहां तक कि विश्वविद्यालय के छात्र भी कम निवेश में अन्वेषण गतिविधियों की शुरुआत कर सकेंगे। उनके अनुसार, यह कदम भारत के अन्वेषण आधार को व्यापक बनाकर क्षेत्र में नयी ऊर्जा लाएगा।
उन्होंने अमेरिकी ऊर्जा क्रांति का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां खुले और अनुकूल नीतिगत माहौल ने हजारों कंपनियों और व्यक्तियों को अन्वेषण में उतरने का अवसर दिया, जिससे अमेरिका एक बड़े आयातक से ऊर्जा-संपन्न राष्ट्र में बदल गया। उन्होंने कहा, "भारत भी अब उसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार है। "श्री अग्रवाल ने इसे 'पीढ़ी में एक बार होने वाला सुधार' बताया और विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में भारत अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का कम से कम आधा हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा कर सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इन नीतिगत बदलावों से निवेश को गति मिलेगी, नये खिलाड़ी उद्योग में प्रवेश करेंगे और वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत की ऊर्जा आपूर्ति और भी मजबूत और सुरक्षित बनेगी।
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