लखनऊ, सितम्बर 25 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी के खुर्रम नगर इलाके में एक अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के आदेश का अनुपालन न होने पर सख्त रुख अपनाया है।

इस मामले में एकल पीठ ने अपील के निस्तारण तक ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी। दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस पर आश्चर्य जताते हुए एकल पीठ के समक्ष दाखिल याचिका का रिकॉर्ड तलब किया है। खंडपीठ ने कहा " हम देखना चाहते हैं कि आखिर मामले में ऐसी क्या तात्कालिकता थी कि जिस दिन एकल पीठ के समक्ष याचिका दाखिल हुई, उसी दिन उसकी सुनवाई भी हो गई।" कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 अक्तूबर की तिथि नियत की है।

न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश हेमंत कुमार मिश्रा की ओर से वर्ष 2016 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया । याचिका में कहा गया है कि 10 मई 2016 को सक्षम अधिकारी ने इस अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था। बजाय ध्वस्तीकरण के, एलडीए की सील को हटाकर इस अवैध निर्माण को और विस्तार देते हुए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बना लिया गया।

मामले की सुनवाई के दौरान एलडीए के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2016 के ध्वस्तीकरण आदेश के बाद बिल्डर्स ने कम्पाउंडिंग प्रार्थना पत्र दिया था। इसे निरस्त करते हुए 2022 में नया ध्वस्तीकरण आदेश पारित किया गया। कहा गया कि कोर्ट के 13 अगस्त 2025 के आदेश के बाद एलडीए कोई कार्रवाई करता, इसके पहले ही 11 सितंबर 2025 को बिल्डर फारुक सिद्दीकी व एक अन्य की याचिका दायर हुई। इस पर एलडीए चेयरमैन के समक्ष ध्वस्तीकरण के विरुद्ध दाखिल अपील के निस्तारण तक कार्रवाई पर एकल पीठ ने रोक लगा दी। यह भी कहा कि फारुक सिद्दीकी व एक अन्य की यह याचिका जिस दिन दाखिल हुई, उसी दिन याचियों की तात्कालिकता (अरजेंसी) के अनुरोध पर इसकी सुनवाई भी हो गई।

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