कुरुक्षेत्र, 30 नवंबर (वार्ता) उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने रविवार को श्रीमद्भागवत गीता को एक धार्मिक ग्रंथ से कहीं अधिक "धार्मिक जीवन, साहसी कार्य और प्रबुद्ध चेतना के लिए एक सार्वभौमिक ग्रंथ" बताया।

उन्होंने कहा कि धर्म द्वारा निर्देशित अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करने का भगवान कृष्ण का आह्वान, एक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की कुंजी है।

श्री राधाकृष्णन ने यह बात हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 से इतर आयोजित अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुये कही।

श्री राधाकृष्णन ने इस अवसर पर कहा कि वह "वेदों की भूमि" कुरुक्षेत्र की पावन धरती है, जहां भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया था। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र हमेशा याद दिलाता है कि धर्म अंततः अधर्म पर विजय प्राप्त करता है, चाहे अधर्म कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो। उन्होंने कहा कि चरित्र, धन या अन्य सांसारिक उपलब्धियों से अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि गीता मानवता को एक सदाचारी और अनुशासित जीवन जीने का मार्गदर्शन करती है और भगवान कृष्ण की तरह हमें याद दिलाती है कि नैतिक शक्ति उद्देश्य की स्पष्टता और धार्मिकता के प्रति समर्पण से उत्पन्न होती है।

श्री राधाकृष्णन ने कहा कि इस तेजी से बदलते युग में, गीता व्यक्तियों, समाजों और राष्ट्रों को शांति और सद्भाव की दिशा में मार्गदर्शन करती रहेगी।

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