शिमला , अक्टूबर 17 -- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत भूमि का उपयोग स्वीकृत उद्देश्य के लिये निर्धारित अवधि में किया जाना आवश्यक है। लेकिन पूरी परियोजना को उस समय-सीमा के भीतर पूरा करना आवश्यक नहीं है।

न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने मेसर्स स्प्रिंगडेल रिसॉर्ट्स एंड विला प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कंपनी को सोलन जिले में एक एकीकृत आवास परियोजना के लिए 2021 में तीन साल के लिए वैध अनुमति मिली थी। हालांकि फरवरी 2024 में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने यह दावा करते हुए फर्म की संशोधित भवन योजनाओं पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि धारा 118 की अनुमति समाप्त हो गयी है।

न्यायालय ने इस रुख को खारिज करते हुये कहा कि विधानमंडल ने जानबूझकर 'परियोजना पूरी करो' के बजाय 'उपयोग में लाना' शब्द का इस्तेमाल किया था, जिससे यह संकेत मिलता है कि स्वीकृत अवधि के भीतर प्रगति प्रदर्शित करना कानूनी आवश्यकता को पूरा करता है।

कंपनी ने तर्क दिया कि निर्माण कार्य पहले से ही चल रहा था और कोविड-19 महामारी तथा विभागीय स्वीकृतियों के लंबित रहने के कारण इसमें देरी हुई थी। न्यायालय ने इसे विरोधाभासी पाया कि अधिकारियों ने मूल तीन साल की अवधि समाप्त होने के मात्र 10 दिन बाद ही अनुमति समाप्त घोषित कर दी, जबकि सक्रिय निर्माण कार्य शुरू हो चुका था।

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