बैतूल , नवंबर 9 -- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में धाराखोह-मरामझिरी घाट सेक्शन में तीसरी रेल लाइन का काम 10 साल बाद भी अधूरा है। घोड़ाडोंगरी-बैतूल के बीच इस सेक्शन में रेलवे की योजना बार-बार बदलने और तीन बार टेंडर निरस्त होने से परियोजना अटक गई है। स्थिति यह है कि रेलवे की क्षमता से ढाई गुना अधिक ट्रेनें इसी दोहरी लाइन से गुजारी जा रही हैं, जिससे हादसे का खतरा बढ़ गया है।
वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार ने बिना रुके ट्रेनों के संचालन के लिए 282.88 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे और 2019 तक काम पूरा करने की समयसीमा तय की गई थी। लेकिन भूमि अधिग्रहण, एफसीए परमिशन और टनल निर्माण की तकनीकी अड़चनों के चलते परियोजना ठप हो गई। अब रेल विकास निगम लिमिटेड को काम सौंपा गया है और सितंबर 2026 तक की नई समयसीमा तय की गई है, मगर टनल निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है।
13 किलोमीटर लंबे इस घाट सेक्शन में चार सुरंगें और 40 पुल-पुलियाएं बनाई जानी हैं, लेकिन एक भी टनल का कार्य आरंभ नहीं हो पाया है। देरी के कारण एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों को अक्सर मरामझिरी व धाराखोह स्टेशनों पर रोकना पड़ता है। इससे यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ती है और ट्रेनों की गति पर भी असर पड़ता है।
पूर्व यातायात निरीक्षक अशोक कटारे के अनुसार, ट्रेनों के अत्यधिक दबाव के चलते ट्रैक मेंटेनेंस के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता, जिससे सुरक्षा पर संकट बना हुआ है। नागपुर डीआरएम विनायक गर्ग ने बताया कि टनल निर्माण की दिक्कतों और चौथी लाइन की स्वीकृति के कारण देरी हो रही है, जबकि बैतूल के उत्तर वन मंडल के डीएफओ नवीन गर्ग के अनुसार वन विभाग की एफसीए अनुमति अभी लंबित है। तीसरी लाइन का काम पूरा न होना न केवल यात्रियों की परेशानी बढ़ा रहा है, बल्कि रेलवे की सुरक्षा और दक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
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