धमतरी , अक्टूबर 03 -- छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला अस्पताल में एक बेहद दुर्लभ जन्मजात विकृति वाला बच्चा जन्मा, जिसे चिकित्सा जगत में 'मरमेड सिंड्रोम' या 'सिरेनोमेलिया' कहा जाता है। यह मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल साइंस की इतिहास में विश्व का 300वां, भारत का दूसरा और छत्तीसगढ़ का पहला केस माना जा रहा है।
जन्म के समय नवजात का वजन केवल 800 ग्राम था। सोनोग्राफी में भी यह विकृति पकड़ी नहीं गई। बच्चे का ऊपर का शरीर सामान्य रूप से विकसित था - आंख, नाक और हृदय पूरी तरह से विकसित थे, लेकिन रीढ़ की हड्डी से नीचे का हिस्सा जुड़ा हुआ था, जिससे दोनों पैर जलपरी की तरह एकसाथ लगे थे। जन्म के तीन घंटे बाद ही नवजात ने दम तोड़ दिया।
जिला अस्पताल की प्रसूता विशेषज्ञ डॉ. रागिनी सिंह ठाकुर ने बताया कि डिलवरी सीजर के माध्यम से कराई गई। इस प्रकार के बच्चों में जन्म के समय जेंडर का पता लगाना भी कठिन होता है। उन्होंने कहा कि यह उनके नौ साल के अनुभव में दूसरा ऐसा दुर्लभ मामला है।
मरमेड सिंड्रोम एक जन्मजात विकृति है, जिसमें पैरों का जुड़ाव जलपरी जैसी पूंछ जैसी आकृति बना देता है। यह लड़कों की तुलना में लड़कियों में तीन गुना अधिक पाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार 1542 से अब तक केवल लगभग 300 ऐसे मामले दर्ज हुए हैं। भारत में इससे पहले ऐसा पहला मामला 2016 में उत्तर प्रदेश में देखा गया था, जिसमें नवजात केवल 10 मिनट तक जीवित रह पाया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि उचित पोषण की कमी, मातृ मधुमेह, भ्रूण तक अनुचित रक्तसंचार या कुछ दवाओं और पर्यावरणीय तत्वों के संपर्क में आने से इस तरह की विकृतियाँ पैदा हो सकती हैं।
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