धमतरी, सितंबर 26 -- छत्तीसगढ़ के धमतरी का दशहरा इस बार और भी खास होने वाला है। 15 साल बाद रामलीला मैदान में फिर से रावण दहन में गूंजेगा प्रहलाद कुंभकार का हुनर। प्रहलाद इस साल 40 फीट ऊंचे रावण का पुतला तैयार कर रहे हैं। यह सिर्फ परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ऐसे कारीगर की संघर्ष गाथा है जिसने जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी।
करीब पांच से सात साल तक प्रहलाद ने रामलीला मैदान के लिए रावण का पुतला तैयार किया, लेकिन मुनाफा न मिलने से उन्होंने यह काम छोड़ दिया। इसके बाद 15 साल तक उनकी कला मैदान से दूर रही। इसी बीच पांच साल पहले मिट्टी खोदते वक्त एक हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी। मिट्टी का ढेर गिरने से उनके दोनों पैर हमेशा के लिए काम करना बंद कर गए।
आज प्रहलाद चल नहीं सकते। एक पुरानी इलेक्ट्रॉनिक हैंड साइकिल उनका सहारा है, लेकिन अधूरी होने की वजह से वह भी दूसरों पर निर्भर है। विभाग और कलेक्ट्रेट के चक्कर काटने के बावजूद उन्हें सिर्फ इंतजार का आश्वासन मिला। बावजूद इसके उनका हौसला टूटा नहीं। प्रहलाद अब अपने बेटों के साथ मूर्तियां गढ़ते हैं और इस बार फिर से 40 फीट ऊंचे रावण को खड़ा करने जा रहे हैं।
प्रहलाद कहते हैं, "पैर अब साथ नहीं देते, लेकिन हाथों का हुनर और रावण बनाने की लगन आज भी ज़िंदा है।" इस बार का रावण बांस और पेपर से तैयार हो रहा है, जिसका रंग नीला और सफेद रखा गया है। प्रहलाद का दावा है कि यह पुतला पहले से कहीं ज्यादा आकर्षक और भव्य होगा।
निर्माण स्थल का निरीक्षण करते हुए नगर निगम उपायुक्त प्रवीण सर्वा ने कहा कि बारिश की वजह से काम में थोड़ी देरी हुई थी, लेकिन अब तेजी से निर्माण हो रहा है। लक्ष्य है कि दशहरा से दो दिन पहले पुतला पूरी तरह तैयार हो जाए। साथ ही मैदान में सुरक्षा और आतिशबाजी की विशेष व्यवस्था भी की जा रही है।
धमतरी का दशहरा हर साल लोगों को आकर्षित करता है, लेकिन इस बार का उत्सव पहलाद के अदम्य जज़्बे और कला की वजह से और भी यादगार बनने जा रहा है।
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