शिमला , अक्टूबर 30 -- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई, 2024 को हुए देहरा विधानसभा उपचुनाव में सरकारी मशीनरी के कथित दुरुपयोग को लेकर गुरुवार को राज्य सरकार और कांगड़ा सहकारी बैंक (केसीबी) को नोटिस जारी किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार होशियार सिंह ने देहरा विधानसभा उपचुनाव में यह याचिका दायर की है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर ने देहरा विधानसभा उपचुनाव जीता है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उपचुनाव आचार संहिता के दौरान केसीबी प्रबंधन ने 67 महिला समूहों के खातों में 50-50 हजार रुपये और देहरा विधानसभा क्षेत्र की 1,000 महिलाओं को इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना (आईजीपीवाई) से तीन महीने की राशि जमा करायी थी।
याचिकाकर्ता के अनुसार सरकार ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया। श्री सिंह ने आदर्श आचार संहिता के दौरान महिला समूहों को पैसे बांटने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में अपील की है।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में 27 फरवरी, 2024 को राज्यसभा चुनाव हुआ था। उस समय देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय विधायकों (केएल ठाकुर और आशीष शर्मा) और छह कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गये थे। निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया और 23 मार्च को दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गए। इसके कारण 10 जुलाई, 2024 को देहरा में उपचुनाव हुआ। भाजपा ने श्री सिंह को, जबकि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की पत्नी को उम्मीदवार बनाया था। दस जुलाई को मतदान हुआ था और 14 जुलाई को नतीजे घोषित किए गए थे। चुनाव में श्रीमती ठाकुर 9,399 वोटों के अंतर से जीतीं। इसके बाद भाजपा और श्री सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने उपचुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया। आचार संहिता के दौरान कांगड़ा सहकारी बैंक की ओर से 67 महिला समूहों को 50-50 हजार रुपये वितरित किए गए।
श्री सिंह के अनुसार, सरकार ने महिला समूहों और महिलाओं को वितरित धन के बारे में जानकारी रोक दी। उन्होंने विधानसभा में इस मामले का जवाब नहीं दिया और सूचना के अधिकार (आरटीआई) का जवाब देने से इनकार कर दिया। आरटीआई के जरिए अपील करने के बाद ही उन्हें जवाब मिला। आरटीआई के तहत दस्तावेज मिलने के बाद अब उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। श्री सिंह ने कहा कि अगर सरकार ने समय पर जानकारी उपलब्ध कराई होती, तो वह चुनाव आयोग (ईसीआई) में शिकायत दर्ज कराते। हालांकि, चुनाव आयोग में शिकायत 45 दिनों के भीतर करनी होती है। सरकार द्वारा 45 दिनों के भीतर जानकारी छुपाने के कारण वह चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज नहीं करा पाए।
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