इटावा , दिसम्बर 20 -- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास तेजी से चल रहा है और अदालत में होने वाले फैसलों को 16 भाषाओं में अनुवाद कराने की व्यवस्था लागू कर दी गई है। अन्य देश की सभी प्रचलित भाषाओं में फैसलों का अनुवाद शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत इटावा के ऐतिहासिक ख्यातिलब्ध इस्लामिया इंटर कॉलेज परिसर में हिंदी सेवा निधि के 33 वे सारस्वत सम्मान में मुख्य अतिथि के रूप में हिंदी सेवियों को सम्मानित करने के बाद आम जनमानस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी न्यायालयों में हिन्दी में लिखने, फैसले देने और बोलने के लिये भी सुप्रीम कोर्ट सजग है और इस ओर सराकात्मक प्रयास किये जा रहे हैं।
सूर्यकांत ने कहा कि देश में जो कानून बना है उसमें सुप्रीम कोर्ट की भाषा इंग्लिश है, लेकिन प्रयास है कि हिन्दी ही नहीं दूसरी भाषाओं में भी फैसले की प्रति मिल सके। जल्द ही सुप्रीम के फैसले , प्रोसिडिंग और दैनिक कार्य देश सभी की भाषाओं में लोगों तक पहुंचे यही प्रयास है। टेक्नोलॉजी और एआई का उपयोग करने का प्रयास किया जाएगा।
जस्टिस सूर्यकान्त ने कहा कि इटावा को गंगदेव की नगरी के नाम से जाना जाता है, गंग अकबर के दरबार के अक्खड़ कवि थे। इटावा की पृष्ठ भूमि में साहित्य, संस्कृति और कला की नगरी है। देश के अन्य भागों के लोगों के हिंदी की सेवा के लिय इटावा से सीख लेनी चाहिए। जहां भी देश में हिंदी या अन्य भाषाओं की संस्थाएं है उनको आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है। उनका प्रयास है कि कोर्ट के फैसले स्थानीय भाषाओं में आए।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने समारोह में 19 वाणी पुत्रों को सम्मानित किया। समारोह की अध्यक्षता सुविख्यात साहित्य मनीषी वसीम बरेलवी ने की। हिंदी सेवा निधि के सारस्वत समारोह में कवि सुरेंद्र शर्मा,हाकी खिलाड़ी अशोक कुमार,शकील अहमद,डॉ.पवन अग्रवाल,वायुसेना सेना अधिकारी अमित तिवारी,सिनेमा कहानीकार संजीव कोहली,डॉ. शरद अग्रवाल,धर्मनाथ प्रसाद यादव,न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय, डॉ.सुरेश नीरव, श्रीमती ज्योतिना सिंह, राम प्रकाश त्रिपाठी, आईपीएस हरीश कुमार,रईस इटावी,अनिल चौधरी, रविंद्र चौहान,प्रमोद तिवारी को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने हिंदी सेवा के लिए सम्मानित किया है।
हिंदी सेवा निधि के सारस्वत सम्मान में शामिल होने के लिए आए देश के प्रख्यात हास्य कवि डा.सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि हिंदी हमारे मन की भाषा है। केंद्र सरकार को एमए तक हिंदी अनिवार्य करने का क़ानून बनाना चाहिए। आज हालत यह है बच्चे 1 से 100 तक की गिनती नहीं जानते। यह वातावरण हमें बदलना होगा। बच्चों को हिंदी सीखनी चाहिए। हिंदी में अन्य भाषाई शब्दों को समाहित करना होगा। हिंदी को साहित्यकारों की नहीं आम जन की भाषा बनाना होगा।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित