नयी दिल्ली , दिसंबर 17 -- देश का घरेलू दवा बाजार अगले पांच साल में दोगुने से ज्यादा होकर 130 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है।

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने दवा निर्यात पर बुधवार को चंडीगढ़ में आयोजित एक दिवसीय चिंतन शिविर में एक वीडियो संदेश में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश का घरेलू दवा बाजार वर्तमान में लगभग 60 अरब डॉलर का आंका गया है। इसके 2030 तक लगभग 130 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है, जो इस क्षेत्र के आकार, गहराई और नवाचार क्षमता को दर्शाता है।

श्री अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2024-25 में देश के दवा निर्यात का मूल्य 30.47 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.4 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि मजबूत विनिर्माण आधार और बढ़ती वैश्विक पहुंच के कारण संभव हुई।

केंद्रीय वाणिज्य विभाग द्वारा भारतीय औषधि निर्यात संवर्धन परिषद (फार्मेक्सिल) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में नीति-निर्माताओं, नियामकों, उद्योग प्रतिनिधियों, छोटे तथा मध्यम उद्यमों सहित निर्यातकों, विदेशों में भारतीय मिशनों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने देश के दवा निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

वाणिज्य सचिव ने बताया कि मात्रा के आधार पर आज भारत मात्रा के आधार पर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के आधार पर 14वां सबसे बड़ा दवा विनिर्माता है। देश में तीन हजार से अधिक कंपनियां, 10,500 विनिर्माण इकाइयां और 60 चिकित्सीय क्षेत्रों में 60,000 से अधिक जेनेरिक ब्रांड हैं।

भारतीय दवाओं का निर्यात दुनिया के 200 से अधिक देशों में किया जाता है, जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक निर्यात कड़े नियामकीय मानकों वाले देशों को जाते हैं। भारत के दवा निर्यात का लगभग 34 प्रतिशत अमेरिका को जाता है, जबकि यूरोप का हिस्सा लगभग 19 प्रतिशत है।

चिंतन शिविर के दौरान विचार-विमर्श का मुख्य केंद्र निर्यातकों, विशेषकर एमएसएमई, को भारत के विकसित हो रहे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सहयोग ढांचे के प्रति संवेदनशील बनाना तथा दवा निर्यात से संबंधित नीति, नियामक और क्षमता निर्माण पहलों के बारे में उद्योग की जागरूकता बढ़ाना रहा।

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