बैतूल , अक्टूबर 13 -- जिला प्रशासन द्वारा दिव्यांग और मुख्य विषयों के शिक्षकों को 70 किलोमीटर दूर बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) ड्यूटी पर भेजे जाने के आदेश से शिक्षकों में गहरा आक्रोश है। शिक्षकों का कहना है कि यह कदम न केवल लोक शिक्षण संचालनालय के आदेशों की अवहेलना है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई पर भी सीधा असर डाल रहा है।

लोक शिक्षण संचालनालय ने पहले ही स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि दिव्यांग कर्मचारियों और गणित, विज्ञान, अंग्रेजी जैसे मुख्य विषयों के शिक्षकों को बीएलओ कार्य से मुक्त रखा जाए। इसके बावजूद प्रशासन ने इन शिक्षकों की दूरस्थ क्षेत्रों में ड्यूटी लगाकर नियमों की अनदेखी की है।

इस निर्णय के विरोध में शिक्षकों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और मांग की कि दिव्यांग तथा विषय प्रमुख शिक्षकों की ड्यूटी नजदीकी क्षेत्र में ही लगाई जाए ताकि शैक्षणिक गतिविधियां बाधित न हों। शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मदललाल डढोरे ने कहा कि यह आदेश संचालनालय के निर्देशों के विपरीत है और प्रशासन से मांग की कि ऐसे शिक्षकों को बीएलओ कार्य से तत्काल मुक्त किया जाए।

कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने कहा कि यदि नियमों की अनदेखी हुई है तो मामले की जांच करवाई जाएगी। इस बीच, शिक्षकों ने उदाहरण देते हुए बताया कि अरुणा बंजारे, जो 60 प्रतिशत दिव्यांग हैं, उन्हें बक्का से 90 किलोमीटर दूर एनखेड़ा भेजा गया है। इसी तरह निर्मला सूर्यवंशी को बिटिया से 70 किलोमीटर दूर मांडवी और राजेश प्रजापति को भाडवा से बैतूल में बीएलओ बनाया गया है।

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