नयी दिल्ली , अक्टूबर 25 -- खान मंत्रालय ने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलूरू और सेंटर फॉर मैटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (सी-मेट), हैदराबाद को राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) के अंतर्गत उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के रूप में मान्यता दी है।

इन दो संस्थानों के अतिरिक्त सात और संस्थानों को पहले ही इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के उद्येश्य से सीआईई का दर्जा दिया जा चुका है।

खान मंत्रालय की शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति यह निर्णय परियोजना अनुमोदन एवं सलाहकार समिति (पीएएसी) द्वारा 24 अक्टूबर को खान मंत्रालय के सचिव पीयूष गोयल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर की सह-अध्यक्षता में आयोजित बैठक में दी गई मंजूरी के बाद लिया गया।

दुर्लभ खनिज उन्नत प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, अंतरिक्ष आदि जैसे रणनीतिक क्षेत्रों के अलावा, स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे उभरते क्षेत्रों के यंत्र उपकरणों के विनिर्माण में महत्वपूर्ण कच्चे माल का काम करते हैं। इनके महत्व को देखते हुए ऐसे खनिजों पर अनुसंधान और नयी प्रौद्योगिकियों के विकास का महत्व बढ़ गया है। अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के माध्यम से देश को दुर्लभ और महत्वपूर्ण खनिजों के प्रसंस्करण के लिए प्रौद्यो्गिकी को पायलट प्लांट और पूर्व-व्यावसायिक प्रदर्शन के स्तर तक और उसके बाद को व्यावसायिक उपयोग के स्तर के लिये पुष्ट करने के स्तर तक ले जाने का लक्ष्य है।

मान्यता प्राप्त उत्कृष्टता केंद्र महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में देश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षमता को सुदृढ़ और उन्नत करने के लिए नवीन और परिवर्तनकारी अनुसंधान करेंगे। ऐसा प्रत्येक केंद्र पहिए की धुरी और तीलियों के रूप में एक समूह की तरह काम करेगा ताकि समूह के प्रत्येक घटक की मुख्य क्षमताओं को एक छतरी के नीचे लाया जा सके। धुरी की भूमिका में प्रत्येक उत्कृष्टता केंद्र के साथ औद्योगिक क्षेत्र के दो भागीदार और कम से कम दो अनुसंधान एवं विकास संस्थान या शैक्षणिक संस्थान शामिल किये जाएंगे।

इन नौ मान्यता प्राप्त उत्कृष्टता केंद्रों ने मिलकर लगभग 90 औद्योगिक इकाइयों और शैक्षणिक एवं अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ा गया है।

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