चंडीगढ़ , अक्टूबर 18 -- दीपावली के अवसर पर इस बार चंडीगढ़ के सेक्टर-45 स्थित गोशाला में दो लाख गोबर से बने दीपक तैयार किये गये हैं।
इन पर्यावरण-अनुकूल दीपकों का वितरण धनतेरस के दिन से शुरू हो गया है। गोशाला का संचालन करने वाली संस्था गौरी शंकर सेवादल के अध्यक्ष सुमित शर्मा ने बताया कि हर साल की तरह इस वर्ष भी लोगों को मिट्टी के दीयों की जगह गोबर से बने दीये इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि घर आंगन को प्राकृतिक रोशनी से जगमगाया जा सके।
उन्होंने बताया कि गोशाला में गोबर से तैयार लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां भी बनायी गयी हैं, जिन्हें श्रद्धालुओं को प्रदान किया जा रहा है। संस्था के उप प्रधान विनोद कुमार ने बताया कि चंडीगढ़ में इस बार 'इको-फ्रेंडली दिवाली' मनाने का लक्ष्य रखा गया है और अधिक से अधिक लोगों तक गोबर से बने दीये पहुंचाये जा रहे हैं।
संस्था के संचालकों ने बताया कि दीपक बनाने के लिए पहले गाय का गोबर एकत्र किया जाता है, फिर उसमें हवन सामग्री जटामांसी पीली सरसों और लाल चंदन का बुरादा मिलाया जाता है। इस मिश्रण से बने दीपक को विशेष आकार दिया जाता है। इन दीयों को जलाने से घर में हवन जैसी सुगंध फैलती है और वातावरण शुद्ध होता है।
दीपावली के बाद इन दीयों का उपयोग जैविक खाद के रूप में भी किया जा सकता है। संस्था ने शहरवासियों से अपील की है कि वे इस बार गाय के गोबर से बने दीयों से अपने घरों को रोशन करें और स्वच्छ, पर्यावरण-अनुकूल दीपावली मनायें।
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