जयपुर , अक्टूबर 17 -- राजस्थान में इस बार रोशनी के पर्व दीपावली पर राजभवन देसी नस्ल की गाय के गोबर और दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों से बने दीपकों की रोशनी से जगमगायेगा।

अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयोजक डा अतुल गुप्ता के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे से मुलाकात कर उन्हें गोमय दीपक भेंट किए। इस अवसर पर राज्यपाल को देसी गाय के गोबर से निर्मित विशेष दीपक प्रदान किए और आग्रह किया गया कि सभी विधायकों के निवास पर भी गौमय दीपक जलाये जाये जिसके लिए विभिन्न गौ सेवी संगठन दीपक उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।

श्री बागडे ने इस अनूठी पर्यावरणीय पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि "ऐसे प्रयास भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और आधुनिक पर्यावरणीय चेतना का सुंदर संगम हैं जो समाज को प्रकृति-सम्मत जीवन की ओर प्रेरित करते हैं।

इसके बाद श्री गुप्ता ने बताया कि जयपुर के टोंक रोड स्थित पिंजरापोल गौशाला वैदिक पादप अनुसंधान केन्द्र में बड़े पैमाने पर ये गोमय दीपक तैयार किए जा रहे हैं। यहां की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं न केवल दीपक बना रही हैं बल्कि उनकी पैकिंग से लेकर विपणन तक की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। माता रानी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्रतिदिन लगभग पांच हजार दीपक बना रही हैं। एक दीपक तैयार करने में केवल डेढ़ मिनट का समय लगता है। यह कार्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता, सम्मानजनक आजीविका और सामाजिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बन चुका है।

हैनिमन चैरिटेबल सोसायटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने बताया कि ये दीपक देसी नस्ल की गाय के गोबर और औषधीय जड़ी-बूटियों जैसे जटामासी, अश्वगंधा, रीठा, काली हल्दी, नीम, तुलसी, मोरिंगा पाउडर और देसी घी से निर्मित हैं। जब ये दीपक जलते हैं, तो वातावरण में हवन जैसी दिव्य सुगंध फैलती है जो न केवल मन को शांत करती है बल्कि वायु को भी शुद्ध करती है।

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