हैदराबाद , अक्टूबर 20 -- देश के कई हिस्सोें में दिवाली के दौरान जुआ खेलना एक परंपरा का हिस्सा माना जाता है लेकिन इसकी लत कुछ समय बाद खतरनाक मोड़ ले लेती है जिससे व्यक्ति अवसाद, चिंता और गंभीर मामलों में आत्महत्या भी कर लेता है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित के अनुसार ऑनलाइन जुआ प्लेटफार्मों और सट्टेबाजी ऐप्स के बढ़ते प्रभाव के चलते लोग अब भारी मात्रा में पैसा खर्च कर रहे हैं, जिससे कई बार वित्तीय नुकसान, कर्ज और भारी तनाव उत्पन्न होता है।

उन्होंने आगाह किया कि जुए में होने वाली ये हार पारिवारिक कलह, विश्वास के टूटने का एक प्रमुख कारण है और घरेलू हिंसा में बदल सकती है।जुआ अक्सर संगठित अपराध को धन उपलब्ध करता है या उनके द्वारा नियंत्रित होता है।

डा पुरोहित ने कहा कि पौराणिक कथाओं में जुए के उदाहरण हो सकते हैं, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि कुछ पौराणिक पात्रों ने जुए के कारण अपना सब कुछ गँवा दिया। लोगों को इन उदाहरणों से सीख लेनी चाहिए और इस सामाजिक बुराई से दूर रहना चाहिए।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 'सट्टेबाजी और जुआ' राज्य सूची का विषय है। इसलिए सरकारों को 1867 के पुराने सार्वजनिक जुआ अधिनियम में परिवर्तन करना चाहिए ताकि हर साल फल-फूल रहे अवैध सट्टेबाजी के नेटवर्क पर अंकुश लगाया जा सके।

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