नयी दिल्ली , नवंबर 01 -- दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि लाल क़िले की प्राचीन दीवारें दिल्ली के उत्थान, पतन और पुनर्जन्म तीनों की साक्षी रही हैं।
श्रीमती गुप्ता ने लाल क़िले के ऐतिहासिक प्रांगण में आयोजित 'मेरी दिल्ली, मेरा देश' के समारोह में कहा कि दिल्ली का इतिहास संघर्ष, पुनर्निर्माण और आत्मबल का प्रतीक रहा है। दिल्ली ने अपने लंबे इतिहास में अनेक कठिनाइयों और हमलों का सामना किया, कई बार गिरी, लेकिन हर बार पहले से अधिक दृढ़ होकर उठ खड़ी हुई। लाल क़िले की प्राचीन दीवारें दिल्ली के उत्थान, पतन और पुनर्जन्म तीनों की साक्षी रही हैं। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया कि अब समय आ गया है जब दिल्ली के लोग एकजुट होकर शहर को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की विशेषता उसकी विविधता और अपनापन है। हम सब अलग-अलग राज्यों से आकर दिल्ली में बसे हैं। अपने-अपने मूल राज्य के प्रति सम्मान और प्रेम तो हमारे दिल में सदैव रहेगा, पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली भी हमारी है और यह देश भी हमारा है। इसी भावना से इस कार्यक्रम का नाम रखा गया है मेरी दिल्ली, मेरा देश। दिल्ली को अब अपनी पिछली तकलीफों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना है, चाहे वह यमुना की सफाई हो, प्रदूषण पर नियंत्रण हो, हरियाली बढ़ाने का कार्य हो या गली-नालियों व सड़कों के निर्माण का काम, हर क्षेत्र में सुधार और प्रगति हमारी प्राथमिकता है। हमारा लक्ष्य है कि दिल्ली को देश की राजधानी के रूप में एक विकसित, स्वच्छ और सशक्त शहर बनाया जाए।
उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने यह संकल्प लिया है कि राजधानी में अब हर राज्य का राज्य दिवस और राज्य उत्सव पूरे हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। दिल्ली अब सचमुच 'मिनी इंडिया' की पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से हर पर्व और अवसर को दिव्यता और भव्यता के साथ मनाने की परंपरा शुरू की है। उन्होंने कहा कि यह दिल्ली है, देश की राजधानी, जहां हर राज्य का उत्सव पूरे सम्मान और समानता के साथ मनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने नागरिकों से अपील की कि वे दिल्ली को स्वच्छ, हरित और सुंदर बनाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएँ। उन्होंने कहा कि हम सब एक बड़े परिवार के सदस्य हैं। हर व्यक्ति यदि रोज़ एक छोटा-सा काम देश के लिए करे, चाहे शहर को साफ रखने का संकल्प हो, हरियाली बढ़ाने की कोशिश हो, नियमों का पालन हो, या किसी जरूरतमंद की मदद करना, तो देश हर दिन 140 करोड़ कदम आगे बढ़ेगा।
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि 1947 में जब पंजाब से आए लाखों परिवार टूटे मन से दिल्ली पहुंचे थे, तब लाल क़िले ने उनके आंसू भी देखे थे और सरदार पटेल की वह दृढ़ता भी, जिसने उन्हें यह भरोसा दिया कि 'दिल्ली आपकी भी है।' दिल्ली की रौनक, उसकी ऊर्जा और उसका उद्यम, सबमें उस पंजाबी संघर्ष की छाप है जिसे पटेल ने सुरक्षा और सम्मान दिया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली ने तब भी आसरा दिया था और आज भी यही शहर हर संघर्ष को गले लगाकर ताक़त में बदल देता है। यही दिल्ली की आत्मा है- आसरा देने की, जोड़कर रखने की, और आगे बढ़ाने की और यही हमारी असली राष्ट्रीय पहचान है, जिसने भारत को एकता और साहस की राजधानी बनाया है।
पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा "मेरी दिल्ली, मेरा देश" केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक भाव है, अपने शहर और अपने देश के प्रति गर्व, जिम्मेदारी और समर्पण का प्रतीक। दिल्ली न सिर्फ भारत की राजधानी है, बल्कि यह भारत के हर कोने से आए लोगों का घर है। यहाँ की विविधता, संस्कृति और एकता ही हमारी असली ताकत है। हमारा संकल्प है कि दिल्ली को स्वच्छ, सुरक्षित, सांस्कृतिक और पर्यटन के क्षेत्र में विश्व की अग्रणी राजधानी बनाया जाए।"इस कार्यक्रम में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के अलावा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, कलाकार, विद्यार्थी, स्वयंसेवक तथा हजारों दर्शक विशेषकर युवा उपस्थित थे। कार्यक्रम में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कलाकारों ने अपनी पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से उत्सव को और भी भव्य और जीवंत बना दिया। पंजाब के ऊर्जावान भांगड़ा, केरल की मोहक मोहिनीयट्टम, और कर्नाटक के पारंपरिक यक्षगान ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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