लखनऊ , दिसम्बर 12 -- राज्यपाल एवं रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की अध्यक्ष आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कहा कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी भारत की अनमोल सांस्कृतिक धरोहर है। इसमें संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियाँ, सुलेख, मिनिएचर पेंटिंग्स और ऐतिहासिक दस्तावेज़ आने वाली पीढ़ियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने वैज्ञानिक संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने, डिजिटलीकरण की गति बढ़ाकर सभी महत्वपूर्ण संग्रह ऑनलाइन उपलब्ध कराने तथा भवन की संरचनात्मक मजबूती से संबंधित कार्य शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए।
शुक्रवार को राज्यपाल की अध्यक्षता में राजभवन में लाइब्रेरी की 53वीं बैठक आयोजित हुई। बैठक में लाइब्रेरी के संरक्षण, डिजिटलीकरण, शोध गतिविधियों के विस्तार, प्रशासनिक सुधार तथा भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
श्रीमती पटेल ने कहा कि लाइब्रेरी को आधुनिक तकनीक से जोड़कर वैश्विक शोध एवं सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों से सहयोग बढ़ाने तथा शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए लाइब्रेरी की पहुँच और सुविधाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने बच्चों को मोबाइल से दूर कर पुस्तकों से जोड़ने पर बल देते हुए निर्देश दिए कि रामपुर में 'पढ़े रामपुर - बढ़े रामपुर' कार्यक्रम संचालित किया जाए, जिसके अंतर्गत सभी विद्यार्थी प्रतिदिन तीन घंटे पुस्तक पढ़ें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यालय में प्रार्थना के समय महान विभूतियों की जीवनी और प्रेरक साहित्य पढ़ने की परंपरा विकसित की जाए, जिससे बच्चों में चरित्र निर्माण और सकारात्मक सोच विकसित हो।
उन्होंने कहा कि केवल उपदेश देने से परिवर्तन नहीं आता, शिक्षक यदि स्वयं नियमित रूप से पुस्तकें पढ़ेंगे तो छात्रों में भी पढ़ने की आदत स्वाभाविक रूप से विकसित होगी। विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन का माहौल बने और बाल-साहित्य व किशोर साहित्य हर लाइब्रेरी में उपलब्ध कराया जाए।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित