नयी दिल्ली , अक्टूबर 10 -- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर दलितों के नाम पर राजनीति करने और भ्रामक खबरों को प्रसारित करने का आरोप लगाया है तथा इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा की आलोचना की है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश ने शुक्रवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए इसे कांग्रेस के दोहरे मापदंडों की पराकाष्ठा बताया और कहा कि जब भी कोई ऐसा मुद्दा सामने आता है, तो श्रीमती वाड्रा, श्री गांधी और श्री खरगे और उनका पूरा इकोसिस्टम सक्रिय हो जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता तीन अलग-अलग घटनाओं को जोड़कर एक राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं। देश जानता है कि कांग्रेस के मन में दलितों और आदिवासियों के प्रति कितनी संवेदनाएं हैं। उन्होंने कहा कि ये पूरे देश ने देखा है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा सांसद खागेन मुर्मु के साथ कैसी हिंसा हुई, लेकिन क्या कांग्रेस नेताओं ने उस पर एक भी पोस्ट किया? क्या उनके मुंह से एक शब्द निकला?उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि कर्नाटक के मैसूरू में एक आदिवासी बालिका से दुष्कर्म हुआ, कांग्रेस के नेताओं के मुंह से एक शब्द भी निकला। क्या इन लोगों ने एक बार भी संवेदना व्यक्त की? कांग्रेस नेताओं की चयनात्मकता की राजनीति दिखाती है कि उनके अंदर की राजनीतिक संवेदनशीलता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। जब भी कोई मामला दलित या सामाजिक न्याय से जुड़ा होता है, तो ये लोग तुरंत भाजपा और संघ का नाम घसीटते हैं। जिन घटनाओं की आप बात करते हैं, उनमें भाजपा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, लेकिन आपका यह रवैया पूरे देश के सामने कांग्रेस की मानसिकता को उजागर करता है।"श्री प्रकाश ने सवाल किया कि श्रीमती वाड्रा और श्री गांधी अचानक दलितों और वंचितों के हितैषी कैसे बन गए? संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का अपमान करने का दुस्साहस आपने ही किया है। उन्होंने कहा, "जब पहली बार केंद्र में हमारी सरकार आपके समर्थन से बनी थी, तभी बाबा साहेब अंबेडकर को देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था। "उन्होंने कहा कि आपने बिहार के रविदास समाज से आने वाले दलित नेता बाबू जगजीवन राम का भी अपमान किया, जो बाबा साहेब अंबेडकर के बाद देश के सबसे बड़े दलित नेता माने जाते हैं। आपको यहां तक कहना पड़ा कि एक दलित इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता। ऐसे कई उदाहरण हैं, सीताराम केसरी हों या बिहार की माटी से जुड़े पिछड़े समाज के सेवक, जिनकी धोती तक खींच ली गई। दिल्ली में ही देख लीजिए, हरियाणा की कुमारी शैलजा जो दलित समाज की बेटी हैं, उन्हें अपने ही दल में बैनर और पोस्टरों पर जगह तक नहीं दी गयी।
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