चेन्नई , दिसंबर 20 -- रेलवे ने यात्री सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए दक्षिण रेलवे के चेन्नई डिवीजन ने चलती ट्रेनों पर पत्थर फेंकने की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई तेज कर की है और इस मामले में जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराया है।
यह अपराध रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत दंडनीय है और यह यात्रियों की सुरक्षा तथा रेलवे संपत्ति के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
दक्षिण रेलवे की विज्ञप्ति के अनुसार सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सहयोग से रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने निगरानी बढ़ा दी है, जिसके परिणामस्वरूप रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 153 और 154 के तहत 37 से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं। अधिकारियों ने बताया कि कई घटनाएं नाबालिगों द्वारा रेलवे ट्रैक के पास खेलते समय की जाती हैं। इसे अक्सर शरारत माना जाता है।
ऐसे कृत्यों से यात्रियों को गंभीर चोट लग सकती है और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंच सकता है। इन घटनाओं को रोकने के लिए चेन्नई डिवीजन ने जोखिम वाले क्षेत्रों में गश्त बढ़ाना, स्कूलों, पैम्फलेट और सामुदायिक वार्ताओं के माध्यम से जागरूकता फैलाने के जैसे कई उपाय किये हैं। इसके अलावा रेलवे ने संवेदनशील ट्रैक स्थानों के पास चेतावनी बोर्ड लगाना, यात्रियों और स्थानीय लोगों को संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना, माता-पिता और अभिभावकों को शिक्षित करना ताकि बच्चे रेलवे ट्रैक से दूर रहें और जहां संभव हो, सीसीटीवी या मोबाइल निगरानी का उपयोग करके हॉटस्पॉट की निगरानी करने के उपाय किये हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि पथराव एक दंडनीय अपराध है और इसके खिलाफ बिना किसी अपवाद के सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। माता-पिता और अभिभावकों से आग्रह किया जाता है कि वे सुनिश्चित करें कि बच्चे रेलवे ट्रैक के पास न खेलें। यात्रियों और जनता से अनुरोध है कि वे सतर्क रहें और किसी भी तरह के पथराव की घटना या संदिग्ध गतिविधि की सूचना रेलवे हेल्पलाइन 139 पर दें।
चेन्नई डिवीजन ने जोर दिया कि यात्री सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और सुरक्षित तथा निर्बाध ट्रेन परिचालन के लिए निरंतर प्रवर्तन के साथ-साथ जन सहयोग आवश्यक है।
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