कुआलालंपुर , अक्टूबर 26 -- थाईलैंड और कंबोडिया ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अध्यक्षता में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों ने सीमा से भारी हथियार हटाने और समझौते की निगरानी के लिए एक पर्यवेक्षक दल भी गठित करने पर सहमति जताई।

इस समझौते पर थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल और उनके कंबोडियाई समकक्ष हुन मानेट ने हस्ताक्षर किए। समारोह में राष्ट्रपति ट्रंप का दबदबा रहा, जिन्होंने अपने भाषण में एक बार फिर 'आठ महीनों में आठ युद्ध' समाप्त करने का दावा किया और शांति स्थापित करने का अपना काम ठीक से न करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की कड़ी आलोचना की। श्री ट्रंप ने इस समझौते को 'ऐतिहासिक' करार दिया जिससे 'लाखों लोगों की जान' बच सकती है।

हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते को 'कुआलालंपुर शांति समझौता' बताया। लेकिन थाईलैंड के विदेश मंत्री सिहासक फुआंगकेटकेओ ने इसे थाइलैंड-कंबोडिया की बैठक के परिणामों की 'घोषणा' के रूप में 'शांति का मार्ग' और 'संयुक्त घोषणापत्र' बताया।

दोनों देशों ने जुलाई में ही एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जिसके तहत वे सीमा से भारी हथियार हटाने और उसकी निगरानी के लिए एक अंतरिम पर्यवेक्षक दल गठित करने पर सहमत हुए थे। रविवार का शांति समझौता इस प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

रविवार के समझौते के तहत दोनों पक्ष बारूदी सुरंगों को हटाने की प्रक्रिया का भी पालन करेंगे और उन स्थानों पर अस्थायी सीमा चिह्न स्थापित करेंगे जो चिह्नित नहीं हैं। थाई प्रधानमंत्री ने कहा कि 'संयुक्त घोषणा' पूरी तरह से लागू होने पर 'स्थायी शांति की नींव' रखेगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि थाईलैंड जल्द ही हथियार हटा लेगा और युद्धबंदियों को रिहा करना शुरू कर देगा।

दोनों देशों के बीच यह संकट एक सीमा संघर्ष था जो उनकी साझा सीमा, विशेष रूप से एक प्राचीन हिंदू मंदिर के आसपास के क्षेत्र के सीमांकन को लेकर क्षेत्रीय विवादों से उपजा था। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस मंदिर को कंबोडिया को दे दिया था।

मई में तनाव तब बढ़ गया जब कंबोडियाई और थाई सैनिकों के बीच एक झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर घटना को भड़काने का आरोप लगाया। जुलाई में तनाव और बढ़ गया जब एक थाई सैनिक बारूदी सुरंग पर पैर रखने से घायल हो गया और दोनों देशों द्वारा आत्मरक्षा में कार्रवाई करने का दावा करते हुए एक सशस्त्र संघर्ष छिड़ गया।

लड़ाई के दौरान लाखों नागरिक विस्थापित हुए। 28 जुलाई को युद्धविराम लागू होने पर सीधी लड़ाई थम गई, जिससे राजनयिक बातचीत शुरू हो सकी। हालांकि छिटपुट सशस्त्र टकराव जारी रहा, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सीमा उल्लंघन का आरोप लगाया।

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