अगरतला , अक्टूबर 25 -- त्रिपुरा के धलाई जिले में पुलिस अधीक्षक के साथ सालेमा के ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) और करीब 10 अन्य अधिकारियों पर हुए हमले के बाद त्रिपुरा सिविल सर्विस (टीसीएस) अधिकारियों ने मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा से मुलाकात करके गहरी नाराजगी जताई है।
यह हमला एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा आयोजित 24 घंटे की हड़ताल के दौरान हुआ जिसका आयोजन कथित तौर पर बीजेपी की गठबंधन सहयोगी टिपरा मोथा के सदस्यों ने किया था।
मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात में टीसीएस अधिकारियों ने हमलावरों के खिलाफ सजा और सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की, ताकि वे बिना डर के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।
जानकारी के अनुसार इस हमले में धलाई के एसपी मिहिर लाल दास, एसडीपीओ समुद्र देबबर्मा और इंजीनियर अनिमेष साहा समेत लगभग 10 सरकारी कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गये।
घटना के तीन दिन बाद भी गिरफ्तारी न होने से पूरे राज्य में तनाव और बढ़ गया है। विपक्षी विधायक सुदीप रॉयबर्मन ने स्थिति की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि सरकार में साझेदार टिपरा मोथा ने एक एनजीओ द्वारा बुलाए गए बंद को कैसे मंजूरी दी।
उन्होंने हमलावरों के खिलाफ पुलिस की निष्क्रियता को बीजेपी के भीतर आंतरिक कलह का परिणाम बताया और कहा, "यदि यह स्थिति बनी रही, तो विकास और कल्याण के प्रयास ठप हो जाएंगे। इस सरकार को तुरंत भंग कर देना चाहिए।"श्री रॉयबर्मन ने आरोप लगाया कि बीजेपी का एक गुट, जो 1980 के दशक की राजनीतिक अराजकता को फिर से लाना चाहता है, इस हमले के पीछे है। उन्होंने इसे "अत्यंत निंदनीय" बताते हुए कहा कि पीड़ितों को उनकी बंगाली पहचान के कारण निशाना बनाया गया।
उन्होंने राज्य में बढ़ती अराजकता की तुलना "जंगल" से की और कानून-व्यवस्था के गंभीर स्थिति की ओर इशारा किया।
उन्होंने आगे दावा किया कि एक बदनाम बीजेपी नेता साम्प्रदायिक तत्वों के साथ मिलकर अशांति फैलाने और वर्तमान मुख्यमंत्री को कमजोर करने की साजिश रच रहा है। इस नेता को कुप्रशासन और जनविरोधी गतिविधियों के कारण हटाया गया था।
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