जगदलपुर , नवंबर 04 -- तेलंगाना राज्य से आए नक्सल हिंसा के पीड़ितों के 30 सदस्यीय दल ने मंगलवार को बस्तर पहुंचकर यहां के ग्रामीणों और युवाओं के नाम एक मार्मिक अपील जारी की। दल के सदस्यों ने कहा कि नक्सलवाद कोई आंदोलन नहीं, बल्कि विनाश और पीड़ा का मार्ग है। उन्होंने बस्तर के लोगों से आग्रह किया कि अब बंदूक नहीं, बल्कि शिक्षा, विकास और शांति का रास्ता अपनाना होगा।
इस दल में ऐसे पुरुष और महिलाएं शामिल थीं, जिन्होंने नक्सली हिंसा में अपने परिवार के सदस्यों को खोया है। किसी ने पिता को, किसी ने बेटे या भाई को, तो किसी ने मां को इस हिंसा में खो दिया। दल के सदस्य वेंकटेश्वर राव रेड्डी ने कहा, "हमने अपने परिवारों को नक्सलियों के हाथों खो दिया है, हम नहीं चाहते कि बस्तर के परिवार भी हमारे जैसे हालात झेलें। अब समय है कि हिंसा छोड़कर जीवन को नए सिरे से शुरू किया जाए।"उन्होंने बताया कि तेलंगाना में अब कई वरिष्ठ माओवादी नेता भी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। रुपेश, वेणुगोपाल राव और राजू सलाम जैसे पूर्व माओवादी अब समाज में सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। रेड्डी ने कहा, "बंदूक से कभी बदलाव नहीं आता, उससे केवल तबाही और दुख ही मिलता है। असली बदलाव शिक्षा, संवाद और विकास से आता है।"बस्तर शांति समिति के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हैदराबाद से आए नक्सली पीड़ित परिवारों का सम्मान किया गया। सभा में 17 अक्टूबर को आत्मसमर्पण करने वाले 210 नक्सलियों में से ज़्यादातर नक्सलियों के परिजन भी उपस्थित रहे।
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