ऋषिकेश , दिसम्बर 25 -- उत्तराखंड के ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष और दिव्य जीवन सोसाइटी के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गुरुवार को कहा कि तुलसी पूजन दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-दर्शन का उत्सव है। यह आध्यात्मिक उन्नति, धार्मिक आस्था, स्वास्थ्य और पर्यावरण चारों को एक सूत्र में पिरोता है।

स्वामी चिदानन्द ने कहा भारतीय संस्कृति में तुलसी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि आस्था, आरोग्य और अध्यात्म का जीवंत प्रतीक है। तुलसी पूजन दिवस हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, जीवन में शुद्धता और संतुलन का संदेश देता है। उन्होंने सनातन धर्म में तुलसी को माता कहा गया है। मान्यता है कि तुलसी स्वयं देवी लक्ष्मी का स्वरूप हैं और भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। बिना तुलसी दल के विष्णु पूजन अधूरा माना जाता है। तुलसी के सान्निध्य से घर में सकारात्मक ऊर्जा, सात्विकता और आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण होता है। प्रातः तुलसी को जल अर्पण कर दीप प्रज्वलन करने से मन में शांति, श्रद्धा और एकाग्रता आती है। तुलसी जी अहंकार, क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रखती है। यह हमें संदेश देती है कि सादगी में ही सच्ची दिव्यता निहित है।

स्वामी चिदानन्द ने कहा कि शास्त्रों में वर्णित है कि जहाँ तुलसी निवास करती है, वहाँ तीर्थों का वास होता है। तुलसी विवाह, एकादशी व्रत, कार्तिक मास और अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में तुलसी का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि तुलसी पूजन केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धर्म के मूल तत्व, करुणा, शुद्धता और संयम, को जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है। तुलसी हमें याद दिलाती है कि दैनिक जीवन में सदाचार और प्रकृति-संरक्षण का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है।

आयुर्वेद में तुलसी को औषधियों की रानी कहा गया है। तुलसी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सर्दी-खाँसी, बुखार, दमा, तनाव, मधुमेह और त्वचा रोगों में तुलसी अत्यंत लाभकारी है। तुलसी में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को फ्री-रैडिकल्स से होने वाली क्षति से बचाते हैं। इससे कैंसर और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार तुलसी का पौधा वातावरण में ऑक्सीजन की गुणवत्ता को बेहतर करता है और हानिकारक गैसों व सूक्ष्म जीवों को कम करने में सहायक होता है। यह प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर के रूप में कार्य करता है।

तुलसी का नियमित सेवन शरीर को शुद्ध करता है, पाचन तंत्र को सुदृढ़ बनाता है और मानसिक तनाव को कम करता है। आज के समय में, जब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ रही हैं, तुलसी प्राकृतिक औषधि के रूप में एक सुलभ और प्रभावी समाधान प्रस्तुत करती है।

तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करता है और वायु में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में सहायक होता है। घर-आँगन में तुलसी का होना पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में एक छोटा लेकिन सार्थक कदम है।

तुलसी पूजन हमें संदेश देता है कि प्रकृति के साथ हमारा संबंध केवल उपयोग का नहीं, बल्कि संरक्षण और संवर्धन का होना चाहिए। आज जब पर्यावरण संकट वैश्विक चुनौती बन चुका है, तुलसी जैसे पौधों का संरक्षण एक सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक उत्तरदायित्व भी है।

आधुनिक जीवन की दौड़, तनाव और भौतिकता के बीच तुलसी हमें ठहराव और संतुलन का पाठ पढ़ाती है। यह हमें जड़ों से जोड़ती है और याद दिलाती है कि प्रगति और परंपरा एक-दूसरे की विरोधी नहीं, बल्कि सहयात्री हैं।

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