नैनीताल , अक्टूबर 31 -- उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के पिछले कई दशकों से राजस्व गांव की बाट जोह रहे तीन गांवों के मामले में राज्य सरकार केन्द्र सरकार को नया प्रस्ताव भेजेगी और केन्द्र सरकार से उनके मामले में जल्द निर्णय लेने का अनुरोध करेगी।
सरकार की ओर से यह बात आज उच्च न्यायालय के समक्ष कही गई। मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेंदर और सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में मनोरथपुर-तृतीय निवासी मुख्त्यार सिंह एवं अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
सरकार की ओर से कहा गया कि अक्टूबर में तीन गांवों का सर्वे कर लिया गया है। वन विभाग के पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक डा0 साकेत बडोला की अगुवाई में 350.65 एकड़ भूमि का सर्वे कर लिया गया है।
छह सप्ताह के अंदर केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा और जल्द ही कार्रवाई की मांग की जाएगी। इसके बाद अदालत ने सरकार को छह सप्ताह में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
यहां बता दें कि याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि सत्तर के दशक के पूर्वार्द्ध में तत्कालीन सरकार ने जसपुर में तुमड़िया बांध बनाने का निर्णय लिया। बांध निर्माण के लिये जसपुर तहसील के तीन गांवों सिबिका, मिलक सिबिका और मनोरथपुर-तृतीय गांवों की 350.65 एकड़ भूमि को अधिग्रहीत कर लिया गया।
इन गांवों के ग्रामीणों को यहां से हटा कर पास के ही वन भूमि में बसा दिया गया लेकिन आज तक उन्हें राजस्व गांव का दर्जा नहीं दिया गया है। केन्द्र सरकार की ओर से वर्ष 2008 में इन गांवों को राजस्व गांव घोषित करने पर अपनी सैंद्धांतिक सहमति भी दे दी गयी लेकिन प्रदेश सरकार की नाकामी के चलते वर्ष 2018 में इसे वापस ले लिया। अब इन गांवों के लोग अपने हक हुकुक के लिये तरस रहे हैं।
इसके बाद खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को वन विभाग और सिंचाई महकमे के अधिकारियों की संयुक्त कमेटी बना कर 350.65 एकड़ भूमि का सर्वे करने के निर्देश सरकार को दे दिये थे।
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