अमरोहा/ हापुड़ , अक्टूबर 17 -- उत्तर भारत का प्रसिद्ध गढ़गंगा-तिगरी मेला राजकीय घोषित होने के आठ साल बाद भी शौचालयों समेत मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है। श्रद्धालुओं के सामने आज़ भी खुले में शौच की विवशता है।
इस बार कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला 28 अक्टूबर से प्रारंभ होकर पितरों को दीपदान के अगले दिन पांच नवंबर को मुख्य स्नान के बाद मेले का समापन हो जाएगा। बीते साल की तरह मेले में इस बार 30-40 लाख श्रदालुओं के आने का अनुमान है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिला प्रशासन ने मेले के लिये पांच करोड़ रुपये की मांग शासन से की गई है। मेले में मनोरंजन के लिए खेल तमाशे झूले व बाज़ार लगाने वाले दुकानदारों को गंगा घाट पर बढ़े रेट पर ठेके छोड़ दिए गए हैं। दुकानदारों से तय बाज़ारी वसूलने को लेकर मनमानी के आरोप हालांकि हर साल लगते हैं। 2017 बाद मेला सरकारी हो जाने के बाद भी दुकानदारों को कोई राहत नहीं मिली जिससे भागलपुर, भदोही, लखनऊ की चिकन व देश के अन्य नामी दुकानदार ने मेले से दूरी बना ली।
व्यापार मंडल का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा वर्ष 2017 में राजकीय घोषित गढ़ गंगा- तिगरी मेले में दुकानदारों से तय बाज़ारी में अप्रत्याशित बढ़ोतरी जरुर हुई मगर सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति और लापरवाही से व्यवस्थाओं में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। लगभग 100 बीघा कृषि भूमि गौशाला के लिए दान देने वाले तिगरी निवासी जमींदार उत्तम सिंह त्यागी के पौत्र जयदीप त्यागी बताते हैं कि राजकीय मेला घोषित होने से किया गया था। इससे लोगों में एक उम्मीद जगी थी कि अन्य राजकीय मेलों की तरह वर्ल्ड फेस्टिवल मैनेजमेंट टिप्स पर आधारित इस मेले में व्यापक सुधार होंगे, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है।
उन्होने सुझाव देते हुये कहा कि मेले में एआई आधारित चैटबाट और क्यूआर कोड से कार्यक्रम शेड्यूल, लाइव स्ट्रीमिंग, मीडिया सेंटर की स्थापना, अस्थाई टेंट विलेज में नाश्ता, दोपहर/ रात्रि भोजन, बोतलबंद पानी, फल और हल्के स्नैक्स निशुल्क वितरण मीडिया कैंटीन, मीडिया कोआर्डिनेटर आदि बेहतर सुविधाओं से जहां मीडिया कवरेज बढ़ेगा और मेला देश-विदेश स्तर पर प्रचारित होगा। मेले की व्यापक पहुंच बढ़ेगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ संतोष गुप्ता ने कहा कि राजकीय मेले में 2000 श्रदालुओं पर कम से कम 25 पोर्टेबल शौचाल होने चाहिये जिसमें महिलाओं के लिए 60 फीसदी से अधिक हाइजेनिक शौचालय जिसमें साबुन, सैनिटाइजर हैंड वाशिंग स्टेशन शौचालय के बाहर लगवाए जाएं , विकलांगों के लिए रैंप युक्त शौचालय, लाइटिंग और प्राइवेसी फेंसिंग सुनिश्चित करें। हर दो-चार घंटे में सफाई का शेड्यूल बनाएं, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गो के लिए अलग सुरक्षा जोन, मेडिकल कैंप, महिलाओं के लिए अस्थाई चैंजिंग रुम, प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छता, यातायात व्यवस्था,फायर टेंडर, ट्रैफिक मैनेजमेंट, कचरा प्रबंधन, मेला क्षेत्र में सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंधित हो। फूड स्टॉल पर हाइजीन चेकिंग अनिवार्य हो ताकि भोजन की गुणवत्ता क़ायम रहे।फागिंग मशीन, धूल रहित चौड़ी सड़कें, कृत्रिम दूध व अपमिश्रित खाद्य पदार्थों की बिक्री पर अंकुश, स्वच्छ मेला कैंपेन चलाएं,चिकित्सा सुविधाएं और दवाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए।
मेला प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ संतोष गुप्ता के मुताबिक देश में आए दिन भगदड़ की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।व्यवस्था द्वारा लापरवाही को सामान्य लिया जाता है।विशेषज्ञों का मानना है कि भीड़ प्रबंधन को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, और इसे केवल पुलिस बल की तैनाती तक सीमित मान लिया जाता है।आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी दिशा-निर्देश में भीड़ का मनोविज्ञान और अनुमान, आपातकालीन चिकित्सा सुविधा, सीसीटीवी निगरानी, सार्वजनिक घोषणा प्रणाली आदि ऐहतियात शामिल हैं।
लगातार गंगा स्नान मेले में कैंप लगा रहे बुजुर्ग महाशय जयचंद बता रहे हैं कि पालिथीन लिपटे खुले शौचालय, बदबू, मक्खी मच्छरों का प्रकोप, जहां-तहां गंदगी की मोटी परत मेले की यही जमीनी हकीकत है। अमरोहा के अपर क्षेत्रिय प्रबंधक (एआरएम) केसी गौड़ ने बताया कि अमरोहा डिपो से 19 अनुबंधित सहित प्रत्येक दिन 96 अलग-अलग रुट पर बसों का संचालन होता है। त्योहारों और मेले को दृष्टिगत रखते हुए 18 अक्टूबर से प्रोत्साहन योजना लागू करने के साथ चालकों और परिचालकों को छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
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