कोलकाता , दिसंबर 24 -- लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने बंगलादेश के मैमनसिंह जिले में दीपू चंद्र दास की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा करते हुए ईशनिंदा कानूनों को पूरी तरह समाप्त करने की अपनी मांग को फिर से दोहराया है।

बंगलादेश से निर्वासित इस लेखिका का कहना है कि इन कानूनों का दुरुपयोग जघन्य अपराधों को जायज ठहराने के लिए किया जा रहा है।

सुश्री नसरीन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ईशनिंदा के नाम पर कई लोगों की पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई है या उन्हें जिंदा जला दिया गया है। अब समय आ गया है कि समाज में यह घोषित किया जाए कि ईशनिंदा कोई अपराध नहीं है।

उनकी टिप्पणी धार्मिक उग्रवाद के लगातार बढ़ने, ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग और देश में धर्मनिरपेक्षों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने मौजूद खतरों को देखते हुए की गयी है। ईशनिंदा कानूनों को हटाने की मांग करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि जो लोग ईशनिंदा के नाम पर अपराध कर रहे हैं, उन्हें ही अपराधी माना जाना चाहिए और दंडित किया जाना चाहिए।

हिंसक भीड़ वाली घटनाओं का जिक्र करते हुए इस चर्चित लेखिका ने कहा कि महज ईशनिंदा के आरोपों के बाद कई लोगों को भीड़ ने मार डाला या जिंदा जला दिया। उन्होंने तर्क दिया कि ईशनिंदा को आपराधिक अपराध नहीं माना जाना चाहिए। उनकी टिप्पणियों ने एक बार फिर बंगलादेश में धार्मिक उग्रवाद के बढ़ते खतरे और धर्मनिरपेक्ष आवाजों तथा अल्पसंख्यकों के सामने आने वाले गंभीर संकटों को रेखांकित किया।

उन्होंने राय व्यक्त की कि एक सभ्य देश में ईशनिंदा बिल्कुल भी अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि इसको समाप्त करने के लिए देशों को ऐसे नियम और कानून अपनाने चाहिए, जो हिंसा और मानव वध के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दें।

मैमनसिंह में दीपू चंद्र दास की हत्या पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम सहकर्मी के झूठा आरोप लगाए जाने के बाद यह घटना हुई। उन्होंने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए कि पुलिस सुरक्षा में होने के बावजूद भीड़ दीपू तक कैसे पहुँच गई। उन्होंने कहा कि इसमें पुलिस की मिलीभगत या निष्क्रियता हो सकती है, जिनमें से कुछ "जिहादी उत्साह" रखने वाले हो सकते हैं।

सुश्री नसरीन ने हाल ही में कहा कि दीपू निर्दोष था और एक मामूली विवाद के कारण सहकर्मी की साजिश का शिकार हुआ। उन्होंने जोर देकर कहा किबंगलादेश में अल्पसंख्यक अत्यंत असुरक्षित स्थिति में हैं।

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