नयी दिल्ली , अक्टूबर 08 -- उच्चतम न्यायालय ने तमिल फिल्म निर्देशक एवं राजनेता सीमन के खिलाफ एक अभिनेत्री की शिकायत पर दर्ज दुष्कर्म के 13 साल पुराने एक मामले को बुधवार को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

पीठ ने दोनों पक्षों द्वारा सभी विवादों को समाप्त करने की मंशा व्यक्त करते हुए हलफनामे पेश किए जाने के बाद यह फैसला सुनाया गया।

शीर्ष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के कहा कि सीमन ने बिना शर्त माफी मांगी है। उसने अदालत को आश्वासन दिया है कि वह किसी भी तरह से उनसे संपर्क नहीं करेंगे।

एक अभिनेत्री ने सीमन के खिलाफ शिकायत की थी कि उसने शादी का झूठा वादा करके दुष्कर्म किया था।

सीमन की बिना शर्त माफी बाद शिकायतकर्ता ने भी सीमन के खिलाफ अपनी शिकायत और मुकदमा वापस लेने का हलफनामा दायर किया।

अदालत ने यह देखते हुए कि दोनों पक्ष "सभी मुकदमों को समाप्त" करना चाहते हैं, कहा कि हलफनामों में सभी कानूनी कार्यवाही समाप्त करने की वास्तविक मंशा झलकती है। अदालत ने दोनों पक्षों को अपने वचनों का "शब्दशः और भावना से" पालन करने का निर्देश दिया।

अभिनेत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने दलील दी कि शिकायत वापस लेने के उनके फैसले को माफ़ी और मामले को ख़त्म करने के संकेत के रूप में भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि सीमन के राजनीतिक समर्थक उनके ख़िलाफ़ सार्वजनिक टिप्पणी न करें। सीमन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को आश्वासन दिया कि इस अनुरोध का सम्मान किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस पूर्व आदेश को रद्द करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि यदि उक्त आदेश को रद्द कर दिया जाए तो न्याय के हित में होगा।"उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।

यह मामला 2011 में सीमन के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 420, 354, 376 और 506(1) के तहत दर्ज एक प्राथमिकी के बाद सामने आया था।

शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने तथा भविष्य में इस मामले पर सार्वजनिक टिप्पणी करने से बचने का निर्देश दिया गया है।

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