चेन्नई , अक्टूबर 17 -- तमिलनाडु विधानसभा ने गुरुवार को तमिलनाडु सिद्ध चिकित्सा विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पर राज्यपाल आर एन रवि की राय को नामंजूर करने वाला प्रस्ताव पारित किया।
मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने यह प्रस्ताव पेश किया जिस पर चर्चा के बाद इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
श्री स्टालिन ने स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम द्वारा सदन में तमिलनाडु सिद्ध चिकित्सा विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पेश करने के तुरंत बाद प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक वित्तीय विधेयक के दायरे में आता है, जो संविधान के अनुच्छेद 207 (3) के अनुसार राज्यपाल से सिफारिशें प्राप्त करना अनिवार्य करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जनता की राय और माँगों पर विचार करने के बाद विधेयक का मसौदा तैयार किया था और विधि विभाग द्वारा सत्यापित करने के बाद राज्यपाल के पास भेजा गया था। राज्यपाल ने संवैधानिक मानदंडों के अनुसार सामान्य प्रक्रिया का पालन करने के बजाय अपनी टिप्पणियों के साथ एक संदेश भेजा और विधेयक को विधानसभा में पेश करते समय अपनी राय पढ़ने की माँग की।
श्री स्टालिन ने तर्क दिया, "विधानसभा द्वारा विधेयक पारित किए जाने से पहले राज्यपाल के पास विधेयकों पर राय बनाने का अधिकार नहीं है।" उन्होंने कहा कि इसलिए यह विधानसभा राज्यपाल के संदेश के साथ भेजी गई राय को स्वीकार नहीं करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल की माँग को विधानसभा के मानदंडों के विरुद्ध है।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि संघीय सिद्धांतों में विश्वास रखने वाले लोग राज्यपाल के संदेश को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, "इसलिए मैं यहाँ (विधानसभा में) ऐसे संदेश दर्ज नहीं करना चाहता।"उल्लेखनीय है कि सिद्ध चिकित्सा विश्वविद्यालय विधेयक में मुख्यमंत्री को सिद्ध चिकित्सा विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया है, जबकि आमतौर पर राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद राज्यपालों के पास होता है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार और राजभवन पहले से मौजूद विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के अधिकार को लेकर कानूनी विवाद में उलझे हुए हैं। राज्य सरकार ने राजभवन से यह अधिकार छीनने के लिए विधेयकों में संशोधन पारित किए थे और यह मामला शीर्ष न्यायालय में लंबित था।
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