नयी दिल्ली , अक्टूबर 22 -- युद्धों के निरंतर बदलते स्वरूप और इनमें प्रौद्योगिकी तथा ड्रोन के बढते इस्तेमाल को देखते हुए इन्फेंट्री यानी भारतीय सेना की पैदल सेना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस होने के साथ-साथ अशिन ड्रोन पलाटून से भैरव बटालियन तक का गठन कर भविष्य की चुनौतियों से निपटने की तैयारियों में जुटी है।

इन्फेंट्री के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने 79वें 'इन्फेंट्री डे' यानी शौर्य दिवस 27 अक्टूबर से पहले बुधवार को यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि भविष्य की पैदल सेना अपने आपको अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर, चुस्त, घातक और त्वरित तथा गहराई तक कार्रवाई करने वाली इकाई के रूप में तैयार करने में जुटी है। इसका उद्देश्य सैनिक को गहन प्रशिक्षण तथा अत्याधुनिक हथियारों तथा उपकरणों से लैस करना है जिससे वह अपने आप में एक 'प्रणाली' के रूप में किसी भी स्थिति का मजबूती के साथ सामना कर सके।

लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि निरंतर नया रूप ले रही प्रौद्योगिकी के दौर में पैदल सेना ने आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर बढते हुए कई पहल, संस्थागत उपाय और प्रौद्योगिकी आधारित बदलाव किए हैं। ये बदलाव मारक क्षमता, गतिशीलता, युद्ध क्षेत्र पारदर्शिता, सैनिकों की सुरक्षा, प्रशिक्षण के साथ-साथ पुनर्गठन के क्षेत्रों में किए गए हैं।

ये बदलाव ऑपरेशन सिंदूर और दुनिया के अनेक हिस्सों में चल रहे टकरावों तथा संघर्षों से सीखे गए सबकों पर आधारित हैं। इसे देखते हुए अब एआई, युद्धक्षेत्र नेटवर्क, सटीक-निर्देशित हथियार और स्वचालित प्रणालियों पर जोर दिया जा रहा है।

सबसे बड़ा बदलाव सभी तरह के युद्ध में पारंगत भैरव बटालियन और ड्रोन युद्ध में निपुण 'अश्नी' प्लाटून के गठन तथा अत्याधुनिक कार्बाइन तथा राइफलों की खरीद के रूप में किया जा रहा है।

दूसरा पैदल सैनिक को एक पूर्ण हथियार प्रणाली के रूप में लड़ने के लिए ल कुशल बनाना तथा उसकी क्षमता बढ़ाना है।

उन्होंने कहा कि इन्फेंट्री की 380 बटालियनों में एक 'अश्नी' ड्रोन प्लाटून गठित की गई है। इसके साथ ही विशेष रूप से प्रशिक्षित और गहराई तक मार करने में सक्षम भैरव बटालियन गठित की जा रही हैं जिनमें से प्रत्येक में करीब 250 सैनिक होंगे।

'अश्नी' नामक फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन प्लाटून 'ईगल ऑन द आर्म' अवधारणा का हिस्सा हैं, जो सैनिकों को हथियार प्लेटफार्मों के साथ ड्रोन संचालित करने में सक्षम बनाता है। दूसरी ओर भैरव बटालियन में विशेष अभियानों को मजबूत करने वाले तेज, आश्चर्यजनक हमलों के लिए सुसज्जित उत्कृष्ट सैनिक शामिल हैं। ये पारंपरिक और आधुनिक पैदल सेना के बीच की खाई को पाटने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

उन्होंने कहा कि पुरानी स्नाइपर राइफलों को भी .338 स्नाइपर राइफलों से बदला जा रहा है। अब 7.62 मिमी राइफलें भी खरीदी जा रही हैं। टैंक रोधी हथियारों के हिस्से के रूप में सेना दूसरी पीढ़ी से चौथी/पाँचवीं पीढ़ी की प्रोद्योगिकी की ओर बढ़ रही है और हल्के वजन और बेहतर परिचालन प्रभावशीलता वाले नई पीढ़ी के रॉकेट लॉन्चर खरीदे जा रहे हैं। ड्रोन सक्षम सटीक हमला क्षमता को शामिल करने के लिए पैदल सेना संचालन के लिए लोइटर म्यूनिशन को शामिल कर रही है।

इसके अलावा 2770 करोड़ रुपए की लागत से सवा चार लाख अत्याधुनिक स्वदेशी कार्बाइन सी क्यू बी खरीदी जा रही हैं।

गतिशीलता के हिस्से के रूप में त्वरित प्रतिक्रिया बल वाहन , ऑल टेरेन व्हीकल , लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल , स्पेशलिस्ट मोबिलिटी व्हीकल और आर्टिकुलेटेड ऑल टेरेन व्हीकल को शामिल किया जा रहा है।

पैदल सेना मौजूदा यू एच एफ और वी एच एफ संचार उपकरणों से सॉफ्टवेयर आधारित रेडियो प्रणाली की ओर बढ़ रही है। ये प्रणालिया सैन्य उद्देश्य के लिए एन्क्रिप्टेड हैं और इन का उपयोग सभी सेनाओं द्वारा किया जाएगा जिससे बेहतर अंतर-संचालन क्षमता होगी। ये विश्व स्तरीय प्रणालियाँ हैं जिन्हें हाल के विश्व संघर्षों में आजमाया और परखा गया है।

युद्ध क्षेत्र की निगरानी बढ़ाने और ज़मीन पर कमांडरों को निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए निगरानी ड्रोन, उन्नत युद्ध क्षेत्र निगरानी रडार और हैंड-हेल्ड थर्मल इमेजिंग साइट खरीदे जा रहे हैं।

ज़मीन पर सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए आधुनिक बैलिस्टिक हेलमेट, बुलेट प्रूफ जैकेट, सामरिक कवच और बेहतर व्यक्तिगत किट शामिल किए जा रहे हैं।

कृत्रिम परिस्थितियों में वास्तविक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सामरिक संलग्नता सिमुलेटर, पैदल सेना के हथियार प्रशिक्षण सिमुलेटर और पोर्टेबल कंटेनरयुक्त छोटे हथियार फायरिंग रेंज खरीदे जा रहे हैं। पैदल सेना के आधुनिकीकरण के प्रयास घरेलू रक्षा उद्योग, डीपीएसयू के साथ-साथ शिक्षा जगत के सहयोग से किए जा रहे हैं। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के साथ, घरेलू उद्योग के साथ हथियारों, गोला-बारूद और उपकरणों की बड़ी खरीद को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए नवाचार और विकास परियोजनाओं के लिए शिक्षा जगत को शामिल किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अधिकारी, जेसीओ और जवान, जिनके कंधों पर परिवर्तन और आधुनिकीकरण के प्रयास टिके हुए हैं और इसके लिए इनके प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन्फेंट्री की लंबी विरासत के तौर पर हर वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाता है। वर्ष 1947 में इसी दिन 1 सिख रेजिमेंट पाकिस्तान समर्थित घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरी थी । यह दिन जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा निर्णायक समय के रूप में याद किया जाता है। शौर्य दिवस पैदल सेना की वीरता, बलिदान और अदम्य भावना को दर्शाता है।

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