बेंगलुरु , नवंबर 15 -- जनता दल (एस) के निलंबित नेता प्रज्वल रेवन्ना ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को बताया कि बलात्कार के मामले में उन्हें दोषी ठहराने के पीछे मीडिया द्वारा फैलाई गई कहानी थी और इस मामले में ठोस सबूतों का अभाव था।

उनके वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने सबूतों की समीक्षा करने और बिना सार्थक सुनवाई के अधिकतम सजा सुनाने में गलती की है।

न्यायमूर्ति केएस मुदगल और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक की खंडपीठ ने निचली अदालत के उस फैसले के खिलाफ रेवन्ना की अपील पर सुनवाई की, जिसमें रेवन्ना के घर में काम करने वाली एक घरेलू सहायिका के साथ बलात्कार के लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

श्री लूथरा ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष का मामला विरोधाभासों और प्रक्रियात्मक खामियों से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसमें अपराध सिद्ध करने वाले सबूतों का अभाव है।

उन्होंने तर्क दिया कि मामला देरी से रिपोर्ट दर्ज करने पर आधारित है। घटनाओं के तीन-चार साल बाद शिकायत दर्ज की गई और पीड़िता के पुलिस नियंत्रण कक्ष पहुँचने के बाद भी देरी हुई।

वरिष्ठ वकील ने अदालत को बताया कि महत्वपूर्ण साक्ष्यों को अनिवार्य रूप से संग्रहित या सुरक्षित नहीं किया गया। उन्होंने मेडिकल बोर्ड के आचरण पर भी सवाल उठाया। उन्होंने तर्क दिया कि निचली अदालत ने साक्ष्य रिकॉर्ड के बजाय पीड़िता की भावनात्मक स्थिति पर अनावश्यक ज़ोर दिया था।

फैसले का हवाला देते हुए, श्री लूथरा ने कहा कि निचली अदालत इस तथ्य से प्रभावित प्रतीत होती है कि पीड़िता "हर बार सवाल पूछे जाने पर रोती थी", और इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह के विचार दोष सिद्ध करने का आधार नहीं हो सकते।

श्री लूथरा ने कहा कि रेवन्ना को सज़ा पर बहस करने का कानूनी रूप से अनिवार्य अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि दोषसिद्धि 1 अगस्त को और सज़ा 2 अगस्त को सुनाई गई, जिससे अधिकतम सज़ा सुनाए जाने से पहले मामले को कम करने वाले हालात पेश करने का समय ही नहीं मिला।

उन्होंने उच्च न्यायालय से अंतरिम ज़मानत देने का आग्रह किया और तर्क दिया कि रेवन्ना पहले ही एक साल हिरासत में बिता चुके हैं और उन्हें लगातार जेल में रखना अनुचित है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को तय की।

वर्ष 2024 में रेवन्ना के खिलाफ बलात्कार के तीन और यौन उत्पीड़न का एक मामला दर्ज किया गया था। वर्तमान मामला एक घरेलू कामगार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत से संबंधित है।

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