श्रीगंगानगर , नवम्बर 24 -- अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष दुर्गा स्वामी ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए चार नये श्रम कानूनों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि ये कानून मजदूरों के हितों की रक्षा करने के बजाय औद्योगिक घरानों और पूंजीपतियों के पक्ष में हैं।
श्रीमती स्वामी ने सोमवार को राजस्थान में श्रीगंगानगर में विज्ञप्ति जारी करके बताया कि इन कानूनों से मजदूर वर्ग की स्थिति और भी बदतर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि देश के मजदूर संगठनों ने वर्षों के संघर्ष के बाद जो कानून मजदूरों के पक्ष में लागू करवाए थे, उनमें से ज्यादातर प्रावधानों को मोदी सरकार ने इन नये कानूनों के माध्यम से वापस ले लिया है।
श्रीमती स्वामी ने कहा कि नये श्रम कानूनों में मजदूरों के लिए कुछ भी सकारात्मक नहीं है। बल्कि, मजदूरी के घंटे, वेतन निर्धारण, नौकरी पर रखने और हटाने जैसे सभी महत्वपूर्ण नियंत्रणों को नियोक्ताओं के हाथों में सौंप दिया गया है। कानूनों में इस्तेमाल किए गए गोलमोल और छिपे हुए शब्द मजदूरों को उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए अभिकल्पित किए गए हैं। इन कानूनों के लागू होने से मजदूर अन्याय के खिलाफ आवाज भी नहीं उठा पाएंगे, क्योंकि राहत के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं।
उन्होंने इसे मजदूरों की दासता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया, जहां नियोक्ता बिना किसी जवाबदेही के मजदूरों का शोषण कर सकेंगे। पुराने कानूनों में मजदूरों को मिलने वाली सुरक्षा, जैसे न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटों की सीमा और यूनियन बनाने का अधिकार, अब पूरी तरह से कमजोर कर दिए गए हैं।
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