रांची , नवम्बर 21 -- झारखंड हाईकोर्ट में आज 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने और दंगा-संबंधित आपराधिक मामलों की मॉनिटरिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि मुआवजा भुगतान और जांच रिपोर्ट तैयार करने के लिए गठित वन मैन कमीशन को दी जा रही सभी सुविधाएं और संसाधन फिलहाल जारी रहें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कमीशन को दी गई प्रशासनिक या तकनीकी सहायता में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जानी चाहिए।
अदालत ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि अब तक पीड़ितों को मुआवजा देने की प्रक्रिया किस चरण में है और दंगा-संबंधित आपराधिक मामलों की जांच कितनी आगे बढ़ी है। राज्य सरकार को दोनों पहलुओं पर विस्तृत प्रगति रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने माना कि न्याय की प्रक्रिया में पारदर्शिता और संवेदनशीलता अत्यंत आवश्यक है। अदालत ने टिप्पणी की कि 1984 के पीड़ितों को न्याय दिलाना सिर्फ सरकारी दायित्व नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की नैतिक जिम्मेदारी भी है।
कोर्ट ने कहा, "जब हर पीड़ित को न्याय मिले, तभी कहा जा सकता है - एक देश सबसे बढ़िया है।" इस टिप्पणी के साथ सुनवाई स्थगित करते हुए अदालत ने अगली तारीख मार्च महीने में निर्धारित की है।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित