रांची, 17अक्टूबर (वार्ता) झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता में शुक्रवार को पांच जजों की पूर्ण पीठ ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने महेश तिवारी को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह कार्रवाई गुरुवार को जज राजेश कुमार की कोर्ट में हुई नोकझोंक के बाद हुई है। उस दिन सुनवाई के दौरान अधिवक्ता और जज के बीच तकरार हो गई थी। दोनों के बीच विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस घटना को गंभीरता से लिया।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पूूर्ण पीठ में इस मामले की सुनवाई जारी है। आदालती प्रक्रिया में न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पूरा केस निष्पक्षता से निपटाया जाएगा।
अधिवक्ता महेश तिवारी ने अदालत को बताया कि उन्होंने जस्टिस राजेश कुमार से अपनी बातें पूरी तरह सचेत अवस्था में कही थीं। उन्होंने जज के खिलाफ कोई पछतावा भी व्यक्त नहीं किया। इस प्रकार वे अपने कार्य में किसी भी प्रकार की गलती स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ यह अवमानना मामला न्यायपालिका की गरिमा और अदालती अनुशासन बनाए रखने के लिए अहम माना जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि कानून सब पर एक समान लागू होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की गई है। उस दिन अधिवक्ता महेश तिवारी के जवाब को सुना जाएगा तथा अदालत आवश्यक कार्रवाई करेगी।
साथ ही मुख्यमंत्री निगरानी सचिवालय ने अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया को एसीबी का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है।
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