रांची, 27सितम्बर(वार्ता) झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रिया भट्टाचार्य ने प्रसिद्ध शिक्षाविद, आविष्कारक और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को केंद्र सरकार की नीतियों के प्रति गंभीर चेतावनी बताया है।
श्री भट्टाचार्य ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार लेह और लद्दाख में अपने कॉर्पोरेट मित्र अंबानी और अडानी को प्राकृतिक संसाधनों और भौगोलिक महत्व वाले क्षेत्रों में घुसाना चाहती है। यह गिरफ्तारी देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों पर हमला है।
श्री भट्टाचार्य ने बताया कि सोनम वांगचुक को लगभग 26 घंटे तक गिरफ्तार रखा गया, जो नव-निर्मित राज्य लद्दाख की राजनीतिक और सामाजिक पहचान हैं। उन्होंने कहा कि सोनम वांगचुक एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं, जो न केवल शिक्षाविद हैं, बल्कि आविष्कारक और वैज्ञानिक भी हैं, जिनके योगदान से भारतीय सेना को सुविधा मिली है। उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मानों से नवाजा गया है।
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि सोनम वांगचुक ने पिछले पांच वर्षों से शांति पूर्वक कई बार अनशन और दिल्ली तक पैदल मार्च किए हैं, उनका उद्देश्य था 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना। इस दौरान जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में विभाजित कर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया। भाजपा के घोषणा पत्र में बताया गया था कि लेह-लद्दाख और कारगिल को छठी अनुसूची में शामिल कर राज्य का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन इस वचन को पूरा नहीं किया गया।
श्री भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि इस विभाजन के पीछे असली मकसद अंबानी और अडानी जैसे बड़े कॉर्पोरेट घरानों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के प्राकृतिक संसाधनों का दखल देना है। लद्दाख में सौर ऊर्जा भंडारण और कारगिल क्षेत्र में देश के सबसे बड़े लिथियम भंडार को भी कॉर्पोरेट समूहों को सौंपने की योजना बनाई जा रही है। इस तरह की योजना से राज्य के खनिज और जैव संपदा संसाधनों का निजीकरण होगा।
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं जैसे रेलवे, एयरपोर्ट और अन्य सार्वजनिक संपत्तियों का सौदा कॉर्पोरेट घरानों के साथ किया है। अब राज्यों और उनकी प्राकृतिक संपदाओं को भी उनके हितों के मुताबिक कॉर्पोरेट के हवाले करने की योजना है। जहां जहां आदिवासी आबादी वाले क्षेत्र हैं, जहां खनिज और जंगल हैं, वहां भाजपा की उद्योगपतियों की नज़र है।
श्री भट्टाचार्य ने याद दिलाया कि 28 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा सत्र के दौरान सोनम वांगचुक के समर्थन में अपनी बात रखी थी। उन्होंने अभी कहा था यह कयास लगाया था कि क्या सोनम वांगचुक के साथ कुछ अप्रिय हो सकता है। मात्र एक महीने के भीतर उनकी गिरफ्तारी से साफ हो गया कि केंद्र सरकार लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
श्री भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करे और सोनम वांगचुक जैसे अधिकारों की आवाज उठाने वालों को गलत तरीके से दंडित करना बंद करे। उन्होंने कहा कि यह न केवल लद्दाख, बल्कि पूरे देश के संवैधानिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा है। इस दबाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ देश के प्रत्येक नागरिक को आवाज उठानी होगी।
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