जयपुर , दिसंबर 21 -- राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने ज्योतिष सम्मेलन को भारतीय ज्ञान परंपरा आध्यात्मिक विज्ञान और आधुनिक चिंतन का संगम बताते हुए कहा है कि भारत केवल भौगोलिक इकाई नहीं है बल्कि एक चेतन राष्ट्र है जिसकी आत्मा ज्ञान, अनुसंधान और लोक कल्याण से अनुप्राणित है।
श्री देवनानी ने रविवार को यहां ऑलमाइटी इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजी कांक्लेव आगाज करने के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि जयपुर से उठी इस ऊर्जा का देश और विदेश में प्रसार होगा और ज्योतिष का यह कार्यक्रम एक सम्मेलन ही नहीं है बल्कि यह भारतीय ज्ञान परंपरा, आध्यात्मिक विज्ञान और आधुनिक चिंतन का अनूठा संगम है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष मानव मन, प्रकृति और ब्रह्मांड के बीच संतुलन की शास्त्रीय व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि वास्तु ऊर्जा, दिशा और मानव चेतना के समन्वय का विज्ञान है और ज्ञान एवं मंत्र साधना मानसिक स्वास्थ्य और आंतरिक अनुशासन का प्रभावी मार्ग है। उन्होंने भारत को महान बताते हुए कहा कि ग्रह और नक्षत्र की गणना की पद्धति भारत में विकसित हुई। पंचांग भी भारत में ही तैयार हुए। ब्रह्मगुप्त की कृति ब्रह्मस्फुटसिद्धांत, श्रीपति का सिद्धांतशेखर, कमलाकर भट्ट का सिद्धांत तत्व विवेक भारतीय ज्योतिष एवं गणित की असाधारण कृतियां हैं।
श्री देवनानी ने कहा कि राजस्थान की भूमि ऋषि परंपरा तपस्या और साधना की साक्षी रही है। यह वही भूमि है जहां ज्ञान को लोक कल्याण से जोड़ा गया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जयपुर से उठने वाली आज की यह चेतना देश और विश्व में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेंगी। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय होने का गर्व है। पहले अकबर महान पढ़ाया जाता था उसमें बदलाव लाया गया। अब अजमेर की भाई सागर को वरुण सागर नाम दिया गया है और क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं।
श्री देवनानी ने कहा कि एआई में भावना नहीं है। भारत भावनात्मक देश है इसलिए हमें इंटरनेट पर भारतीय संस्कृति और परंपरा वाली सामग्री को अधिक से अधिक प्रस्तुत करना होगा।
सम्मेलन में पंडित सतीश शर्मा सहित अनेक विद्वानों ने ज्योतिष की विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी।
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