रांची , अक्टूबर 26 -- झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी में चल रहेचौथे दक्षिण एशियाई सीनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के आज अंतिम दिन आयोजित ''जोहार टॉक' ने खिलाड़ियों के दिलों की बात को मंच पर लाने का एक सशक्त और संवेदनशील प्रयास किया है।

इस विशेष संवाद श्रृंखला में दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों से आए एथलीट्स ने न केवल अपने संघर्षों और उपलब्धियों की कहानी सुनाई, बल्कि झारखण्ड में बिताए अपने यादगार अनुभवों को भी साझा किया।

खेल भावना, भाईचारे और सांस्कृतिक जुड़ाव को समर्पित यह पहल खिलाड़ियों की मानवता, भावनाओं और प्रेरणा को उजागर करने वाला एक जीवंत मंच बन गया है।

भारत के समरदीप सिंह गिल, जिन्होंने पुरुष शॉटपुट में नया मीट रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता और भारतीय दल के ध्वजवाहक भी रहे, ने अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा - "मैं क्रिकेट में तेज़ गेंदबाज और पिंच हिटर था। फिटनेस के लिए स्टेडियम जाना शुरू किया और वहीं पहली बार शॉटपुट फेंका - और यहीं से नई कहानी शुरू हुई। बीच में चोटें भी आईं, पर परिवार का साथ हमेशा मिला। भारत का ध्वजवाहक बनना मेरे लिए गर्व का क्षण था।"हरियाणा के रोहतक से आईं संजना सिंह, जिन्होंने 1500 मीटर और 5000 मीटर दोनों में स्वर्ण पदक जीता, ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा -"मैं बचपन में बहुत शरारती थी, इसलिए माता-पिता ने मुझे खेलों में भेजा ताकि मेरी ऊर्जा सही दिशा में लगे। मैंने शुरुआत में स्प्रिंट किया, फिर मिडल डिस्टेंस रेस में अपनी पहचान बनाई। मेरी माँ वॉलीबॉल खिलाड़ी थीं, लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें हर मदद दूँगी - वही मेरी ताकत बनीं।"मालदीव की सबहा ने भी अपने अनुभव साझा किए और कहा कि इस प्रतियोगिता का हिस्सा बनना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। मेरा परिवार गरीब है, खेल ही मेरे जीवन का आधार रहा है। रांची आकर मैं यहाँ की शानदार व्यवस्थाओं और लोगों की गर्मजोशी से अभिभूत हूँ। यह अनुभव मैं कभी नहीं भूलूँगी।"श्रीलंका के रनातुंगे रोशन, जिन्होंने पुरुषों की 110 मीटर हर्डल्स में रजत पदक जीता, ने कहा -"स्प्रिंट आसान नहीं होता - महीनों की मेहनत का परिणाम बस 11-12 सेकंड में तय होता है। श्रीलंका हमेशा से स्प्रिंट में अच्छा रहा है और भारत की प्रगति देखना प्रेरणादायक है। रांची की संस्कृति और दर्शकों का जोश हमेशा याद रहेगा।"नेपाल के मुकेश बहादुर पाल, जो पुरुषों की 400 मीटर दौड़ में चौथे स्थान पर रहे, ने अपने दिल की बात कही -"भारत हमारे देश जैसा ही लगता है। मैंने रांची का नाम सुना था, लेकिन यह नहीं जानता था कि यह इतना सांस्कृतिक और पारंपरिक रूप से समृद्ध है। हम बॉलीवुड के गाने सुनते हैं और विराट कोहली व रोहित शर्मा जैसे भारतीय क्रिकेटर नेपाल में भी बहुत लोकप्रिय हैं। यहां सरकार द्वारा दी गई सुविधाएं शानदार रहीं। यह अनुभव मैं अपने पोते-पोतियों को सुनाऊंगा कि मैं इन ऐतिहासिक सैफ गेम्स का हिस्सा था।"इन सच्ची और प्रेरक कहानियों ने ''जोहार टॉक' को इस चैम्पियनशिप का भावनात्मक केंद्र बना दिया है - जहाँ खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि जीवन, संघर्ष और एकता का उत्सव बन गया है।

चौथे दक्षिण एशियाई सीनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 के अंतर्गत आयोजित 'जोहार टॉक' का उद्देश्य खिलाड़ियों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जहाँ वे अपने पदक और प्रदर्शन के साथ-साथ अपने जीवन के संघर्ष, प्रेरणा और अनुभवों को साझा कर सकें - ताकि खेल के माध्यम से दक्षिण एशिया की एकता और मानवीय भावना को और मज़बूती मिल सके।

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