नयी दिल्ली , नवंबर 05 -- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पहले दौर की मतगणना के बाद सभी पदों पर वामपंथी आगे चल रहे है। मंगलवार को मतदान हुआ था, जिसमें छात्रों ने परिसर में एक नए केंद्रीय पैनल और स्कूल पार्षदों का चुनाव किया था।
चुनाव समिति के अनुसार, इस वर्ष लगभग 9,043 छात्र मतदान के पात्र थे।
मंगलवार शाम को विश्वविद्यालय में 67 प्रतितश मतदान हुआ, जो पिछले चुनाव में दर्ज 70 प्रतिशत से थोड़ा कम और 2023-2024 में दशक के उच्चतम 73प्रतिशत से कम है।
अध्यक्ष पद के लिए सात उम्मीदवार, उपाध्यक्ष पद के लिए तीन उम्मीदवार और महासचिव तथा संयुक्त सचिव पद के लिए पाँच-पाँच उम्मीदवार मैदान में हैं।
लेफ्ट यूनिटी, जिसमें आइसा, एसएफआई और डीएसएफ शामिल हैं, का प्रतिनिधित्व करते हुए अदिति मिश्रा अध्यक्ष पद के लिए, किझाकूट गोपिका बाबू उपाध्यक्ष पद के लिए, सुनील यादव महासचिव पद के लिए और दानिश अली संयुक्त सचिव पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
एबीवीपी का प्रतिनिधित्व करते हुए विकास पटेल, तान्या कुमारी, राजेश्वर कांत दुबे और अनुज इसी क्रम में अपने-अपने पदों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
एबीवीपी ने "प्रदर्शन और राष्ट्रवाद" के विषय पर प्रचार किया है, जबकि वामपंथी धड़े ने समावेशिता, सुलभता और छात्र कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया है।
चुनाव समिति ने बताया कि इस वर्ष लगभग 9,043 छात्र मतदान में भाग लेने के पात्र हैं।
केंद्रीय पैनल के लिए महिला उम्मीदवारों का अनुपात लगभग 30प्रतिशत और स्कूल काउंसलर पदों के लिए 25प्रतिशत है।
पिछले साल, आइसा के नीतीश कुमार अध्यक्ष चुने गए थे, जबकि एबीवीपी के वैभव मीणा ने संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल की थी, जिससे दक्षिणपंथी समूह के लिए एक दशक से चला आ रहा सूखा खत्म हुआ और जेएनयू की कैंपस राजनीति में एक "ऐतिहासिक बदलाव" का संकेत मिला।
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