प्रिटोरिया , नवंबर 27 -- दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफ़ोसा ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान पर अपना रुख साफ़ करते हुए कहा है कि उनका देश 'अपने अधिकार से' जी20 का सदस्य है और सम्मेलन में शामिल होने के लिए उन्हें किसी देश के मशवरे की ज़रूरत नहीं है।
गौरतलब है कि श्री ट्रम्प ने कहा था कि वह दक्षिण अफ्रीका को 2026 में फ्लोरिडा में होने वाले जी20 सम्मेलन में आमंत्रित नहीं करेंगे।
इसके जवाब में श्री रामाफ़ोसा ने कहा, "दक्षिण अफ्रीका अपने नाम और अधिकार से जी20 का सदस्य है। उसकी जी20 सदस्यता सभी सदस्य राष्ट्रों की मंज़ूरी से है। दक्षिण अफ्रीका एक स्वायत्त संवैधानिक लोकतांत्रिक देश है और वैश्विक मंचों में सदस्यता एवं अधिकार के संबंध में किसी अन्य देश से अपमान स्वीकार नहीं करता है।"उन्होंने एक बयान में कहा, " दक्षिण अफ्रीका हर देश की संप्रभुता का सम्मान करता है और वैश्विक समुदाय में किसी देश का या उसकी उपस्थिति और योग्यता का अपमान नहीं करेगा।"श्री रामाफ़ोसा ने ट्रम्प के बयान को 'अफ़सोसनाक' करार देते हुए जी20 में दक्षिण अफ्रीका की सदस्या के संबंध में लगायी जा रही अटकलों को सिरे से ख़ारिज किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका से कूटनीतिक रिश्ते सुधारने की कई कोशिशों के बावजूद 'गलत सूचना और विकृतियों' के आधार पर श्री ट्रम्प का उनके देश के खिलाफ 'दंडात्मक उपाय' अपनाना निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा बॉयकॉट किया गया 2025 जी20 शिखर सम्मेलन जोहान्सबर्ग सदस्य राज्यों की तारीफ़ों का केंद्र बना और उसका अंत 'बहुपक्षीय सहयोग' की पुष्टि करने वाले घोषणापत्र के साथ हुआ।
अमेरिका की आपत्तियों और बॉयकॉट के बावजूद 20 राष्ट्रनेताओं के एक समूह ने शनिवार को जलवायु संकट सहित कई अन्य वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक घोषणापत्र पर अपने हस्ताक्षर किये। इसके बाद अमेरिका ने आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका इस साल जी20 की मेज़बानी के अधिकार का 'गलत फ़ायदा' उठा रहा था।
श्री ट्रम्प ने सोशल मीडिया का रुख करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका 'मानवाधिकारों का उल्लंघन' कर रहा है और उसने 'जी20 की मेज़बानी के दस्तावेजों के हस्तांतरण में प्रोटोकॉल का उल्लंघन' किया है। इस वजह से वह दक्षिण अफ्रीका को अगले साल फ्लोरिडा में होने वाले जी20 सम्मेलन में आमंत्रित नहीं करेंगे। इस सब के बावजूद श्री ट्रम्प ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दक्षिण अफ्रीका जी20 का पूर्ण, सक्रिय और रचनात्मक सदस्य रहेगा।
इसके जवाब में श्री रामाफ़ोसा ने कहा कि अमेरिका ने जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में वरिष्ठ प्रतिनिधिमंडल को नहीं भेजा, इसलिए जी20 मेज़बानी के आधिकारिक दस्तावेज़ दक्षिण अफ्रीका में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों को सौंपने पड़े। श्री रामाफ़ोसा के बयान में कहा गया, "जी20 के संस्थापक सदस्य के तौर पर दक्षिण अफ्रीका ने हमेशा सर्वसम्मति, सहयोग और साझेदारी की उस भावना का सम्मान किया है, जो जी20 को परिभाषित करती है।"उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अपनी मर्ज़ी से शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया। बयान में यह भी कहा गया कि एक ओर जहां अमेरिकी सरकार ने इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी व्यवसायियों और नागरिक-समाज समूहों ने बी20 और जी20 सोशल जैसे जी20 आयोजनों में बड़ी संख्या में अपनी हिस्सेदारी दर्ज की।
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