नयी दिल्ली , नवंबर 28 -- सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना आधार पर 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।

इसमें सेवा क्षेत्र और विनिर्माण की वृद्धि दर नौ प्रतिशत से अधिक रही। इस दौरान निजी खपत में तेजी दर्ज की गयी जबकि सरकारी खपत में एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में हल्की गिरावट रही।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, दूसरी तिमाही में स्थिर मूल्य पर आधारित जीडीपी 48.63 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो पिछले साल की समान तिमाही के 44.94 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 8.2 प्रतिशत अधिक है। यह जनवरी-मार्च 2024 तिमाही के बाद सबसे तेज बढ़ोतरी है।

इससे पहले, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही -अप्रैल-जून 2025 के दौरान जीडीपी 7.8 प्रतिशत और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा था।

आलोच्य तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र की 9.1 प्रतिशत दर्ज की गयी। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान जीडीपी वृद्धि दर आठ प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गयी। पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह 6.1 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 6.9 प्रतिशत रही थी।

विशेषज्ञों ने बताया कि पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की विकास दर देश की अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित मजबूती को दिखाती है। उन्होंने कहा कि मांग की स्थिति मजबूत बनी हुई है।

जीडीपी में तेज वृद्धि को पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारक द्वितीयक क्षेत्र का प्रदर्शन है जिसमें विनिर्माण भी शामिल है। इस क्षेत्र में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गयी जो पहली तिमाही में 7.0 प्रतिशत रही थी। इसमें विनिर्माण की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत से बढ़कर 9.1 प्रतिशत; बिजली, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य यूटिलिटी सेवाओं की 0.5 से बढ़कर 4.4 प्रतिशत; और निर्माण की 7.6 से घटकर 7.2 प्रतिशत रह गयी।

प्राथमिक क्षेत्र की वृद्धि दर पहली तिमाही के 2.8 फीसदी की तुलना में दूसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत दर्ज की गयी। इसमें कृषि, पशुधन, वानिकी और मत्स्यपालन में 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि पहली तिमाही में यह 3.7 प्रतिशत बढ़ा था।

दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र में वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा और यह 10.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा। पहली तिमाही में यह 9.5 प्रतिशत बढ़ा था। व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण सेवाओं की वृद्धि दर 8.6 फीसदी से घटकर 7.4 प्रतिशत रह गयी। लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं की वृद्धि दर भी 9.8 फीसदी से गिरकर 9.7 फीसदी हो गयी। सेवा क्षेत्र की कुल वृद्धि दर 9.3 फीसदी से घटकर 9.2 फीसदी रह गयी।

जीडीपी के तहत व्यय के कारकों में आयात सबसे अधिक 12.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा। निजी अंतिम उपभोग व्यय में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि सरकारी अंतिम उपभोग व्यय में 2.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी। सकल स्थिर पूंजी निर्माण में 7.3 प्रतिशत वृद्धि हुई। निर्यात भी 5.6 प्रतिशत बढ़ा।

पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 9.3 प्रतिशत और विनिर्माण की 8.4 प्रतिशत रही। कृषि क्षेत्र में 3.6 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि खनन में 1.8 प्रतिशत की गिरावट रही।

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