नयी दिल्ली , अक्टूबर 21 -- क्रिसिल रेटिंग्स ने एक विश्लेषण के आधार पर कहा है कि जीएसटी दरों में संशोधन से परिधानों का खुदरा व्यवसाय करने वाली इकाइयों के कारोबार में लगभग दो प्रतिशत का अतिरिक्त लाभ मिलेगा और उनका परिचालन राजस्व लगातार दूसरे वित्त वर्ष में 13-14 प्रतिशत के मजबूत स्तर पर बना रह सकता है।

विश्लेषण के अनुसार, खुदरा महंगाई में कमी और कच्चे माल की लागत कम होने जैसे कारकों के बीच कुल मिलाकर संगठित क्षेत्र की खुदरा इकाइयों का परिचालन लाभ भी 14 से 14.5 प्रतिशत के दायरे में रहने की उम्मीद है।

जीएसटी परिषद के फैसलों के अनुसार, 22 सितंबर से 2,500 रुपये तक के सिले-सिलाये कपड़ों और परिधानों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गयी है। इससे औसत प्रीमियम स्तर के परिधानों की मांग में तेजी आने की संभावना है।

पहले 1,000 रुपये तक के परिधान पर जीएसटी पांच प्रतिशत और 1000 से 2500 रुपये तक के परिधानों पर कर 12 प्रतिशत लगता था। क्रिसिल का कहना है कि अब 2,500 रुपये तक के वस्त्र पर पांच प्रतशित की कम दर पर कर से उपभोक्ता आधार बढ़ेगा।

रिपोर्ट के अनुसार 2,500 रुपये से ऊपर के प्रीमियम खंड के परिधानों पर कर की दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत हो जाने से शादी-विवाह के लिए खरीदे जाने वाले या ऐसे महंगे फैशन वाले कपड़ों की मांग प्रभावित हो सकती है जो 2,500-3,500 रुपये के बीच के हैं। इस श्रेणी के ग्राहक कर लाभ को देखते हुए 2,500 रुपये से कम के कपड़ों की ओर जा सकते हैं।

देश के परिधान बाजार का 65 प्रतिशत हिस्सा 2,500 रुपये तक की मध्यम प्रीमियम या सामान्य श्रेणी में तथा 35 प्रतिशत प्रीमियम श्रेणी में आता है।

क्रिसिल रेटिंग्स की इस रिपोर्ट में संगठित क्षेत्र की लगभग 40 खुदरा परिधान इकाइयों के कारोबार का विश्लेषण किया गया है जो संगठित क्षेत्र का लगभग एक-तिहाई कारोबार करती हैं।

क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि पांच प्रतिशत की कम दर का फायदा 2,500 रुपये तक के परिधानों तक बढ़ाने से ज्यादा तेजी से बिकने वाले अच्छे फैशनी तथा मध्यम श्रेणी के प्रीमियर परिधान कीमत के हिसाब से बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे। इसका कारण यह है कि इस श्रेणी के परिधानों के खरीदार कीमत के प्रति संवेदनशील होते हैं।

उन्होंने कहा कि जीएसटी की कटौती ऐसी समय की गयी है जब त्योहारों का सीजन शुरू हुआ था। मध्य वर्ग इस सीजन में बड़ी खरीदारी करता है। इसके अलावा, मुद्रास्फीति नीचे होने से इस श्रेणी की क्रय शक्ति को मदद मिली है।

श्री सेठी ने कहा कि कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष में संगठित क्षेत्र के परिधान विक्रेताओं की आय पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 13-14 प्रतिशत की मजबूत दर से बढ़ सकती है।

क्रिसिल का कहना है कि पिछली लगातार छह तिमाहियों की औसत वृद्धि के बाद यह उल्लेखनीय बदलाव है। जीएसटी में कटौती और महंगाई दर में गिरावट से कीमतें अधिक आकर्षक होंगी और मांग को प्रोत्साहन मिलेगा। बिना इसके मांग धीमी बनी रह सकती थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रीमियम वस्त्रों पर कर ऊंचा होने का बोझ विक्रेताओं ने खरीदारों पर डाला तो 2500-3500 रुपये की श्रेणी की मांग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

क्रिसिल की निदेशक पूनम उपाध्याय ने कहा कि संगठित क्षेत्र के खुदरा परिधान विक्रेता प्रीमियम श्रेणी में लाभ का मार्जिन ऊंचा होने के चलते जीएसटी में वद्धि का बोझ कम से कम त्योहारों के सीजन में अपने ऊपर ले सकते हैं। कपास की कीमतों में नरमी और सिंथेटक फाइबर और धागे पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत किये जाने से कच्चे माल की लागत भी घटेगी।

सुश्री उपाध्याय ने कहा कि कर लाभ और लागत आदि की ताजा परिस्थितियों में परिधानों का खुदरा काम करने वाली संगठित क्षेत्र की इकाइयों का परिचालन लाभ बढ़कर 14 प्रतिशत से 14.5 प्रतिशत के बीच रह सकता है। पिछले साल यह लगभग 14 प्रतिशत था।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित