गांधीनगर , अक्टूबर 29 -- गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग (जीएआरसी) ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को 12 प्रमुख सिफारिशों के साथ तैयार की गई पाँचवीं रिपोर्ट बुधवार को सौंप दी।
जीएआरसी के अध्यक्ष डॉ. हसमुख अढिया ने इस अवसर पर कहा कि यह रिपोर्ट केवल तकनीकी सिफारिशों तक सीमित नहीं है, बल्कि सुशासन की एक नई संस्कृति का प्रतीक है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'नागरिक देवो भव' के विचार को केंद्र में रखते हुए नागरिकों को शासन की धुरी बनाया गया है। यह पहल गुजरात को डिजिटल गुड गवर्नेंस के एक नए युग में प्रवेश कराने के साथ-साथ, "सरकार नागरिकों के द्वार पर" के मंत्र को साकार करते हुए मुख्यमंत्री श्री पटेल के नेतृत्व में नागरिक सेवाओं में एक परिवर्तनकारी क्रांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।
सूत्रों के अनुसार श्री पटेल ने राज्य सरकार के प्रशासनिक ढांचे और कार्यप्रणाली में आवश्यक सुधारों के लिए उनके मुख्य सलाहकार डॉ. हसमुख अढिया की अध्यक्षता में जीएआरसी का गठन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने डिजिटल तकनीक के व्यापक उपयोग के माध्यम से डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का ऐसा विचार देश को दिया है, जिससे नागरिक केंद्रित सेवाएँ सरल, सुगम और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने योग्य बन सकें। पाँचवीं रिपोर्ट में इस विचार के अनुरूप "वन स्टेट, वन पोर्टल" (एक राज्य, एक पोर्टल) पहल अपनाने की सिफारिश की गई है।
गुड गवर्नेंस के मॉडल स्टेट के रूप में प्रसिद्ध गुजरात में हर नागरिक को एक ही डिजिटल इंटरफेस के माध्यम से सभी सरकारी सेवाएँ एक क्लिक पर उपलब्ध कराने तथा 'गवर्नमेंट ऐट द डोरस्टेप ऑफ सिटिजन' के मंत्र को साकार करने की दिशा में यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
रिपोर्ट में यह भी अनुशंसा की गई है कि सिंगल साइन-ऑन सिस्टम (एसएसओ) के माध्यम से नागरिकों को एक ही यूज़र आईडी से सभी सेवाएँ मिलें। साथ ही, एक बार भरी गई जानकारी को आधार या डिजीलॉकर सेवाओं से जोड़कर विभिन्न सेवाओं में स्वतः उपयोग में लाने की व्यवस्था विकसित की जाए।
इससे नागरिकों को बार-बार वही जानकारी देने से मुक्ति मिलेगी और "एक बार जानकारी दें, अनेक बार लाभ पाएं" का उद्देश्य पूरा होगा। जीएआरसी की इस पाँचवीं रिपोर्ट का मुख्य फोकस डिजिटल गुजरात 2.0 पोर्टल विकसित करने पर है। इसके परिणामस्वरूप प्रशासनिक कार्यप्रणाली पूरी तरह डिजिटल होगी और सरकार व नागरिकों के बीच संवाद और अधिक सुगम बनेगा।
इस रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि केवल नागरिकों के आवेदन की प्रतीक्षा करने के बजाय उनकी आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाकर स्मार्ट अलर्ट सिस्टम के माध्यम से नागरिकों को उनकी पात्रता के अनुसार सामाजिक कल्याण योजनाओं और लाइफ-साइकल आधारित मार्गदर्शन की जानकारी प्रदान की जाए ताकि एक सक्रिय, नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण प्रणाली लागू हो सके।
रिपोर्ट में प्रमुख नागरिक सेवाओं के लिए एंड-टू-एंड डिजिटल वर्कफ्लो की भी अनुशंसा की गई है। इसमें यह सुझाव दिया गया है कि आवेदन, अनुमोदन और स्थिति अपडेट वास्तविक समय में उपलब्ध हों, जिससे पारदर्शिता, गति और जवाबदेही बढ़े। साथ ही, एक प्रमाणित फॉर्म अपनाकर अनावश्यक दस्तावेज़ों और स्टैम्प्स को समाप्त करते हुए "लेस पेपर-मोर फैसिलिटीज़" के लक्ष्य को साकार किया जाए।
राज्य के सभी जनसेवा केंद्रों (जेएसके) को आधुनिक बनाने, सेवाओं के लिए प्रतीक्षा समय घटाने, और प्रत्येक केंद्र पर मार्गदर्शन डेस्क स्थापित करने जैसी सिफारिशें भी जीएआरसी द्वारा की गई हैं, ताकि सरकार का सिटिजन फर्स्ट दृष्टिकोण और अधिक प्रभावी बने।
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