लखनऊ , नवम्बर 12 -- जिला जेल कारागार लखनऊ में बंद पूर्व मंत्री व बंदी गायत्री प्रसाद प्रजापति पर हुए हमले की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराए जाने की मांग कारागार प्रशासन ने खारिज कर दी है। प्रकरण में आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संचालित समन्वित निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर शिकायत करते हुए जांच की मांग की थी।

इस बाबत पुलिस उपमहानिरीक्षक, कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं सुभाष चन्द्र शाक्य ने अपनी रिपोर्ट विशेष सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पोर्टल संख्या 60000250235301 के अंतर्गत प्राप्त शिकायत पर शासन स्तर से जांच पूरी कर ली गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 सितम्बर 2025 की सायंकाल कारागार चिकित्सालय वार्ड में दवा वितरण के दौरान बंदी विश्वास राजपूत और बंदी गायत्री प्रजापति के बीच कहासुनी हुई। इसी दौरान आवेश में आकर विश्वास राजपूत ने अलमारी की लोहे की पटरी से हमला किया, जिससे गायत्री प्रजापति के सिर और दाहिने हाथ में चोटें आईं।

घटना की जानकारी मिलते ही जेल प्रशासन ने तत्काल स्थिति को नियंत्रित किया और घायल बंदी को उपचार हेतु केजीएमयू, लखनऊ भेजा गया, जहाँ उसका इलाज किया गया। चिकित्सकों के अनुसार अब उनकी स्थिति में सुधार है। वहीं, बंदी विश्वास राजपूत को घटना के बाद तत्काल हाई सिक्योरिटी अहाते में स्थानांतरित कर उसके विरुद्ध बीएनएसएस की धारा 115(2), 351(3) एवं 352 के तहत थाना गोसाईगंज, लखनऊ में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि यह घटना आवेशवश घटित एक आकस्मिक घटना थी तथा इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक षड्यंत्र या साजिश नहीं पाई गई। इसलिए शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं पाए गए हैं।

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