नयी दिल्ली , नवंबर 27 -- केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने गुरुवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की तीन बड़ी पहलों का उद्घाटन किया। इनमें रायपुर और मंगलुरु में दो अत्याधुनिक डॉप्लर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर), मौसम भवन में एक नई सौर ऊर्जा प्रणाली और छात्रों और युवा शिक्षार्थियों के लिए एक मौसम विज्ञान संग्रहालय शामिल हैं।

इस अवसर पर डॉ. सिंह ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आईएमडी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 'मिशन मौसम' को तेज़ी से लागू कर रहा है, जिसे श्री मोदी ने 14 जनवरी 2025 को भारत मंडपम में आईएमडी के 150 साल पूरे होने के उत्सव के दौरान देश को समर्पित किया था। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री के सामने देश के रडार नेटवर्क को लगभग तीन गुना करने का वादा किया गया था। उन्होंने कहा, "हमने 2027 तक रडार की संख्या 47 से बढ़ाकर लगभग तीन गुना करने का वादा किया था, लेकिन मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कुछ ही महीनों में, हम 126 रडार तक पहुंच चुके हैं। हमारे पास अभी भी दो साल हैं, और मुझे विश्वास है कि हम न केवल समय सीमा के भीतर लक्ष्य को पूरा करेंगे, बल्कि आराम से हासिल भी कर लेंगे।"डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि डॉप्लर मौसम रडार, मौसम संबंधी बुनियादी ढांचे के सबसे ज़्यादा दिखने वाले और असरदार हिस्सों में से हैं, जिन्हें जनता, आपदा प्रबंधक और नीति निर्माता सभी अहमियत देते हैं।

श्री सिंह ने बताया कि रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में एक डुअल पोलराइज़्ड, सॉलिड-स्टेट पावर एम्पलीफायर-बेस्ड सी-बैंड डॉप्लर मौसम रडार लगाया गया है-यह छत्तीसगढ़ में ऐसा पहला रडार है। यह 250 किलोमीटर के दायरे को कवर करने के साथ, यह मॉनसून के डिप्रेशन, लो-प्रेशर सिस्टम, भारी बारिश, आंधी-तूफान, बिजली, ओले, आंधी का पता लगा सकता है। इसकी निरीक्षण पहुंच छत्तीसगढ़, अंदरूनी ओडिशा, पूर्वी मध्य प्रदेश, दक्षिण-पश्चिम झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों तक फैली है। जो आंकड़ों की कमी को पूरा करने के साथ इन इलाकों में आईएमडी की भविष्यवाणी करने की क्षमताओं में सुधार होगा।

श्री सिंह ने बताया कि मंगलुरु के शक्ति नगर में आईएमडी के आरएस/आरडब्ल्यू कार्यालय में लगाया गया दूसरा डुअल पोलराइज्ड सी-बैंड डॉप्लर मौसम रडार समुद्री तूफान, आंधी, भारी बारिश, बिजली, ओले जैसी खराब मौसम प्रणाली की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी इस्तेमाल कर निगरानी करेगा। उन्होंने बताया कि 250 किलोमीटर कवर करने के साथ, यह रडार कर्नाटक से सटे अरब सागर, गोवा और दक्षिण कोंकण के इलाकों, उत्तरी लक्ष्यद्वीप और कर्नाटक, केरल, गोवा और दक्षिण महाराष्ट्र के ज़मीनी इलाकों पर नज़र रखेगा। यह कर्नाटक का पहला आईएमडी रडार है, और यह नाउकास्टिंग और शॉर्ट-रेंज फोरकास्टिंग के लिए ज़रूरी होगा, जिससे पश्चिमी तट पर आपदा की तैयारी मज़बूत होगी। दोनों रडार 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत देश में ही बनाए गए हैं।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने मौसम संग्रहालय का भी उद्घाटन किया, जिसमें आईएमडी के 150 सालों के सफ़र को प्रदर्शित किया जायेगा, जो छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं और युवाओं को प्रेरित करेगा। संग्रहालय में मौसम संबंधी पुराने उपकरण, ऊपरी हवा में देखने वाली वाली प्रणाली, संचार उपकरण, रेडार और उपग्रह कलपुर्जे हैं, और इंटरैक्टिव लर्निंग के लिए ऑडियो-विज़ुअल सुविधाएँ भी हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आईएमडी को स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए संरचित शैक्षणिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया और संग्रहालय को "साइंटिफिक इवोल्यूशन की एक सदी का सफ़र" कहा।

भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन के साथ, आईएमडी ने मौसम भवन कॉम्प्लेक्स में 771 केडब्ल्यूपी की सौर ऊर्जा प्रणाली लगाई है, जिसमें एनबीसीसी के ज़रिए लगाए गए 1,315 सौर ऊर्जा पैनल शामिल हैं।

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